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एमपी में कांग्रेस से आए रावत बने नए मंत्री…एक घंटे में दो बार ली शपथ…अब छत्तीसगढ़ की बारी ?

प्रदेश के सभी "मिनिस्टर इन वेटिंग" में एमपी की खबर से नए उत्साह का संचार

द स्तंभ ने जैसी संभावना जताई थी, मध्यप्रदेश में सोमवार को सुबह राजभवन में मोहन यादव सरकार के 30वें मंत्री (सीएम को मिलाकर) के रूप में रामनिवास रावत ने शपथ ले ली है। रावत कांग्रेस से 5 बार के विधायक हैं और चर्चा थी कि मंत्री पद का आश्वासन मिलने के बाद ही वे पार्टी छोड़कर भाजपा में आए थे। उनका शपथग्रहण समारोह भी दिलचस्प ही रहा। पहली बार उन्होंने शपथ ली तो राज्यमंत्री कह गए। थोड़ी में देर में उन्हें शुभचिंतकों ने बताया कि राज्यमंत्री की शपथ ले ली है। इसके बाद उनकी दोबारा शपथ हुई, क्योंकि वे कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किए गए हैं। अविभाजित एमपी में एक घंटे में दो बार शपथ लेने के इस मामले को ऐतिहासिक माना जा रहा है। बहरहाल, एमपी में शपथग्रहण होने की खबर छत्तीसगढ़ में तेजी से फैली है। यहां जितने भी “मिनिस्टर इन वेटिंग” हैं, मध्यप्रदेश में हुए शपथग्रहण से उनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ है, क्योंकि यहां भी विष्णुदेव साय कैबिनेट में नया मंत्री लेने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

मध्यप्रदेश में सीएम को मिलाकर मंत्रिमंडल की स्ट्रेंथ 33 की है, यानी एक मुख्यमंत्री और 32 मंत्री। अभी सब मिलाकर वहां 30 सीटें भर गई हैं, अर्थात भविष्य में नए मंत्रियों के लिए वहां 30 सीटें खाली हैं। छत्तीसगढ़ में यही स्ट्रेंथ विधायकों की कुल संख्या की 15 प्रतिशत के हिसाब से सीएम को मिलाकर 13 की है। इस हिसाब से यहां अभी 2 सीटें खाली हैं। मोदी सरकार और भाजपा की रणनीति ऐसी रहती है कि मंत्रिमंडल में एक-दो साल तक एक-दो सीटें की गुंजाइश रहती है। शायद इसलिए कि कब जरूरत पड़े और नया मंत्री बनाना पड़े, तो किसी को इस्तीफा दिलवाने की संभावना न रहे। अगर छत्तीसगढ़ में यही फार्मूला रहा, तो भी कम से कम एक विधायक को तो मंत्री पद की शपथ दिलवाने की संभावना बनती है। यह दो भी हो सकती है। बहरहाल, एमपी में शपथग्रहण हो गया, इसलिए छत्तीसगढ़ के उन वरिष्ठ और कनिष्ठ विधायकों में उम्मीद बढ़ी है कि जल्दी से जल्दी यहां भी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। एमपी में भाजपा कार्यसमिति की बैठक के 24 घंटे के भीतर नए मंत्री को शपथ दिला दी गई। रायपुर में भाजपा की कार्यसमिति 10 जुलाई यानी बुधवार को बैठने वाली है। यहां के भाजपा नेता भी उम्मीद कर रहे हैं कि शायद एमपी जैसा यहां भी हो जाए। एमपी में रावत का नाम एक दिन पहले ही मीडिया में आ गया था। छिंदवाड़ा के एक विधायक का नाम भी था, लेकिन उन्हें शपथ नहीं दिलाई गई। छत्तीसगढ़ में भी मंत्तीरी पद के लिए तीन-चार नाम राजनीतिक गलियारों में तैर रहे हैं, लेकिन कन्फर्म कुछ भी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में भी जिस दिन शपथग्रहण समारोह होगा, उसके एक दिन पहले ही नाम को लेकर धुंधलका छंट पाएगा।

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