आम चुनाव

राजनांदगांव सीट भूपेश बघेल की मौजूदगी और आक्रामक प्रचार से बनी हाईप्रोफाइल

मोदी फैक्टर के साथ संतोष पांडेय ने दोबारा ताल ठोंकी

पूर्व सीएम तथा तेजतर्रार कांग्रेस नेता भूपेश बघेल की उम्मीदवारी ने राजनांदगांव को प्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट में बदल दिया है। उनकी मौजूदगी ने इस सीट पर कांग्रेस की ताकत दिखाई है, मुकाबले को रोचक बनाया है। एक सच यह भी है कि 1999 से अब तक के सभी पांच चुनावों में इस सीट से भाजपा ही जीती है, वह भी बड़े वोट मार्जिन से। भाजपा के मौजूदा उम्मीदवार संतोष पांडेय ने भी पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को करीब पौने दो लाख वोटों से हराया था। वैसे कांग्रेस के शिवेंद्र बहादुर सिंह (तीन बार सांसद) के अलावा इस सीट से 1971 से अब तक कोई दोबारा चुनाव नहीं जीत पाया, या दोबारा उसे टिकट ही नहीं मिला।

लोकसभा चुनाव की चर्चा में राजनीतिक विश्लेषकों से लेकर चौक-चौराहों और पान ठेलों के विशेषज्ञों के पास पिछले विधानसभा के नतीजे आंकलन का बड़ा आधार होते है, इसलिए हम वही बता रहे हैं। राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से 5 में कांग्रेस विधायक हैं। स्पीकर तथा पूर्व सीएम डा. रमन सिंह के साथ 3 सीटें भाजपा के खाते में हैं। विधायकों में बढ़त कांग्रेस के लिए उत्साह का सबब है। लेकिन एक और तथ्य है। पांच सीटों पर कांग्रेस की कुल बढ़त 84 हजार वोट है, जबकि सिर्फ तीन सीटों पर भाजपा की बढ़त 1.11 वोटों की है, यानी विधानसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से ज्यादा विधायक होने के बावजूद यहां कांग्रेस 30 हजार वोटों से पीछे ही है। राजनांदगांव शहरी क्षेत्र तथा कवर्धा जिले की दोनों सीटें चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।

भूपेश बघेल के आक्रामक प्रचार और विपक्ष पर बेखौफ हमलों ने कांग्रेस में जान फूंक दी है, तो संतोष पांडेय ने भी अच्छी छवि के साथ मोदी लहर पर सवार होकर मुकाबला सख्त बनाया है। समूची भाजपा ने भूपेश को निशाने पर ले रखा है और भ्रष्टाचार समेत हर तरह के मिसाइल उन पर बरस रहे हैं। लेकिन इनसे भूपेश के प्रति सिंपैथी पैदा होने के आसार भी बढ़ रहे हैं। भूपेश के लिए कवर्धा जिला भी चुनौती है, क्योंकि भाजपा की तरफ से सीएम विजय शर्मा और भावना बोहरा पूरे जिले में बहुत एक्टिव हैं। राजनांदगांव सीट भी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि वहां भी विस चुनाव में डा. रमन के हाथों कांग्रेस को जिले में सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। अभी इस संसदीय क्षेत्र में डा. रमन के बेटे तथा पूर्व सांसद अभिषेक सिंह के साथ भाजपा के अधिकांश पूर्व सांसद और उनकी टीमें भी काफी एक्टिव हैं।

संतोष पांडेय को छवि का लाभ

कुल मिलाकर, इस सीट पर कांग्रेस की ताकतवर मौजूदगी की चर्चा सिर्फ इसलिए है क्योंकि यहां से भूपेश बघेल चुनाव मैदान में हैं। यह सीट इसलिए भी चर्चा में है। दूसरी ओर, भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडेय का भी उनके क्षेत्र में अच्छा जनाधार है। उनके साथ भाजपा के कमिटेड वोट हैं। मोदी लहर और हिंदुत्व का असर संतोष का काम आसान भी बना सकता है। इस सीट का बड़ा हिस्सा साहू बहुल है। लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस के साहू समाज के प्रत्याशी को उन इलाकों से भी बड़ी हार मिली थी। ओबीसी और एससी के साथ आदिवासियों की भी बड़ी संख्या है, पर विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि जाति-समाज का असर नहीं के बराबर है। इस सीट पर दलीय आधार पर ही वोट पड़ने के पूरे आसार नजर अ रहे हैं।

विधानसभा चुनाव के नतीजे

राजनांदगांव  – 45084 भाजपा

मोहला मानपुर – 31741 कांग्रेस

खैरागढ़  – 5634 कांग्रेस

डोंगरगढ़  – 14367 कांग्रेस

डोंगरगांव  – 2789 कांग्रेस

खुज्जी  – 25944 कांग्रेस

कवर्धा  – 39592 भाजपा

पंडरिया  – 26398 भाजपा

विधानसभा चुनाव में बढ़त

कांग्रेस (पांच सीटें) –  80475

भाजपा (तीन सीटें)  – 111074

विस चुनाव की कुल लीड – 30599 भाजपा

एनालिसिस – नवाब फाजिल

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