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बिलासपुर के दावेदारों पर भारी पड़े भिलाई के देवेंद्र, बैज-मरकाम को बीरेश ने पछाड़ा, छापों के कारण  अमरजीत की जगह शशि, रायगढ़ से राजपरिवार की डा. मेनका

कांग्रेस के बचे हुए चार टिकट भी घोषित

दीपक बैज और मोहन मरकाम की कोशिशें नाकाम

दीपक बैज और मोहन मरकाम की दिल्ली में चल रही ताबड़तोड़ कोशिशों को विराम देते हुए कांग्रेस ने कांकेर सीट के लिए बीरेश ठाकुर पर ही भरोसा जताया और उन्हें टिकट दे दिया गया। बीरेश पिछला लोकसभा चुनाव महज 5 हजार वोटों से हारे थे. उनकी दावेदारी पुख्ता थी, लेकिन समझा जाता है कि बस्तर में टिकट नहीं मिलने के बाद बैज ने कांकेर के लिए जोर लगा दिया था। मोहन मरकाम भी इस सीट से दावेदारी कर रहे थे। दिल्ली में कांग्रेस के वही नेता मरकाम की दावेदारी का समर्थन कर रहे थे, जो करीब एक साल पहले सत्ता और संगठन की कथित खींचतान में तत्कालीन अध्यक्ष मरकाम के साथ थे। लेकिन कांग्रेस ने अंततः माना कि बीरेश ही संभावना वाले प्रत्याशी हो सकते हैं।

देवेंद्र भले ही मुश्किल में, पर भरोसा उन्हीं पर

बिलासपुर से देवेंद्र यादव दावेदार थे, लेकिन उनके बजाय वहां के महापौर रामशरण यादव और अर्जुन तिवारी की दावेदारी को भी मजबूत माना जा रहा था। रायपुर से कांग्रेस ने विकास के रूप में ब्राह्णण प्रत्याशी उतार दिया, इसलिए अर्जुन की दावेदारी कमजोर पड़ गई थी। भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव पर पार्टी इसलिए हिचक रही थी क्योंकि बिलासपुर के कांग्रेसियों से ही स्थानीय और बाहरी का मुद्दा उछलने लगा था। देवेंद्र अभी ईडी की वजह से मुश्किलों में भी हैं, लेकिन कांग्रेस आलाकमान के सर्वे में यह बात आई कि भाजपा प्रत्याशी को वही टक्कर दे सकते हैं। इसलिए अंततः उन्हीं के नाम पर मुहर लग गई।

छापों से निपटे अमरजीत, सरगुजा से शशि

सरगुजा (सुरक्षित) सीट पर अमरजीत भगत की दावेदारी तगड़ी थी। लेकिन कुछ अरसा पहले वह भी जांच और छापों की चपेट में आ गए। भाजपा के लोगों ने अमरजीत को निशाने पर ले लिया, तभी कांग्रेस में उच्चस्तर पर यह मन बना लिया गया था कि उनकी जगह किसी ऐसे नेता को टिकट देना होगा, जो बेदाग हों। इसलिए पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह का नाम फाइनल कर दिया गया।

रायगढ़ में सारंगढ़ राजपरिवार पर भरोसा

रायगढ़ से कांग्रेस ने एक बार फिर सारंगढ़ राजपरिवार पर ही भरोसा जताते हुए डा. मेनका देवी सिंह को टिकट दिया है। उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया था, लेकिन ऐन वक्त पर उनका टिकट काट दिया गया था। लंबे समय तक सांसद रहीं पुष्पादेवी सिंह और उर्वशी सिंह के घराने से ही डा. मेनका का ताल्लुक है।

छत्तीसगढ़ में संसदीय मुकाबले की अब यह तस्वीर

रायपुर – बृजमोहन अग्रवाल (भाजपा) – विकास उपाध्याय (कांग्रेस)

दुर्ग – विजय बघेल (भाजपा) – राजेंद्र साहू (कांग्रेस)

महासमुंद – रूपकुमारी चौधरी (भाजपा) – ताम्रध्वज साहू (कांग्रेस)

राजनांदगांव – भूपेश बघेल (कांग्रेस) – संतोष पांडेय (भाजपा)

कांकेर – भोजराज नाम (भाजपा) – बीरेश ठाकुर (कांग्रेस)

बस्तर – महेश कश्यप (भाजपा) – कवासी लखमा (कांग्रेस)

बिलासपुर – तोखन साहू (भाजपा) – देवेंद्र यादव (कांग्रेस)

रायगढ़ – राधेश्याम राठिया (भाजपा) – डा. मेनका सिंह (कांग्रेस)

कोरबा – सरोज पांडे (भाजपा) – डा. ज्योत्सना महंत (कांग्रेस)

सरगुजा – चिंतामणि महाराज (भाजपा) – शशि सिंह (कांग्रेस)

जांजगीर – कमलेश जांगड़े (भाजपा) – डा. शिव डहरिया (कांग्रेस)

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