रायपुर मेयर चुनाव… भाजपा-कांग्रेस से दक्षिण के दावेदारों के अलावा भी कई नाम… जानिए दोनों दलों में कौन-कौन चर्चा में
राज्य शासन ने साफ कर दिया है कि छत्तीसगढ़ के शहरों में अब महापौर समेत नगरीय निकायों के महापौर तथा अध्यक्ष चुनाव सीधे होंगे। नगरीय प्रशासन मंत्री तथा डिप्टी सीएम अरुण साव ने इस पर मुहर भी लगा दी है। अर्थात, हम और आप एक वोट पार्षद के लिए देंगे और दूसरा उसी कक्ष में सीधे महापौर के लिए भी देंगे। पिछली कांग्रेस सरकार ने महापौर का चयन पार्षदों में से करने का सिस्टम लाया था, जिसे साय सरकार ने तोड़ा है। लिहाजा, अब महापौर के सीधे मुकाबले ने उन सभी लोगों को दावेदारी का एक मौका और दे दिया है, जो रायपुर दक्षिण के दावेदार माने जा रहे थे लेकिन टिकट नहीं मिला। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, अब यह दोनों पार्टियों को तय करना है कि उन्हीं में से किसी को यह मौका दिया जाएगा, या फिर नया नाम लेकर रायपुर के लोगों को चकित किया जाएगा। रायपुर मेयर के लिए दोनों ही पार्टियों से एक-एक दर्जन नाम आने की पूरी संभावना है।
जहां तक पूर्व महापौरों का सवाल है, सुनील सोनी दक्षिण के प्रत्याशी हैं और भाजपा में जो कैडर-बेस्ड सिस्टम चलता है, तो इसमें सोनी की दावेदारी की संभावनाएं लगभग खत्म हैं। रायपुर के मेयर रह चुके प्रमोद दुबे अभी नगर निगम के अध्यक्ष भी हैं। रायपुर दक्षिण के दावेदारों में उनका नाम था, टिकट नहीं मिलने से वे कुछ नाराज भी बताए गए। अब उनका नाम मेयर के लिए पार्टी में आगे बढ़ सकता है। किरणमयी नायक रायपुर की महापौर रह चुकी हैं, अभी महिला आयोग की अध्यक्ष है। माना जा रहा है कि उनकी तरफ से भी दावेदारी आ सकती है। यही स्थिति मौजूदा महापौर एजाज ढेबर की भी है। ढेबर दक्षिण के दावेदार थे, लेकिन साइलेंट थे पर मान सकते हैं कि मेयर के लिए अपनी पार्टी से दावेदारी जरूर करेंगे। इस तरह, भाजपा और कांग्रेस के पूर्व महापौरों की बात करें तो अभी दावेदार केवल कांग्रेस में ही नजर आ रहे हैं।
भाजपा में संभावित प्रत्याशियों की बड़ी संख्या
जहां तक भाजपा से संभावित उम्मीदवारों का प्रश्न है, रायपुर दक्षिण के लिए संजय श्रीवास्तव, केदार गुप्ता और अमित साहू आदि का नाम चल रहा था। संजय आरडीए अध्यक्ष रहे हैं, इसलिए दावेदार माने जा रहे हैं। केदार गुप्ता संगठन में सक्रिय हैं और अमित साहू युवा होने के साथ-साथ साहू समाज से भी हैं। मीनल चौबे नेता प्रतिपक्ष हैं और सूर्यकांत राठौड़ इससे पहले नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं और संगठन में खासे सक्रिय हैं। इस लिहाज से इनके नाम चर्चा में आ सकते हैं। संगठन से ही सच्चिदानंद उपासने और अशोक पांडे की चर्चा भी हो सकती है। चर्चा तो शहर भाजपा अध्यक्ष जयंती पटेल की भी है, क्योंकि वे निगम की राजनीति का हिस्सा भी रह चुके हैं। पूर्व छात्र नेता तथा निगम की राजनीति में अरसे से सक्रिय मृत्युंजय दुबे का नाम भी कुछ लोग आगे बढ़ा सकता हैं। भाजपा प्रवक्ता का काम संभाल रहे पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट अमित चिमनानी भी शहर के हैं। नए चेहरे के लिहाज से उनका नाम चर्चा में आ रहा है। हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इनमें से किसी ने भी महापौर के लिए कोई दावेदारी नहीं की है और भाजपा में दावेदारी का सिस्टम भी नहीं है। अलग-अलग समूहों में इन नामों को लेकर चर्चाएं हैं। यह बात भी है कि पार्टी कोई नया नाम लाकर शहर को चौंकाए, जैसा भाजपा अक्सर करती है।
कांग्रेस में भी उछल रहे हैं कई नए-पुराने नाम
कांग्रेस में भी महापौर के दावेदारों की बड़ी फौज है। प्रमोद के अलावा ज्ञानेश शर्मा दक्षिण के दावेदार थे और निगम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। गजराज पगारिया निगम के सभापति रह चुके हैं और सूत्रों के मुताबिक वे जरूर चाहेंगे कि निगम की राजनीति में उनकी लंबे समय की खामोशी टूटे। दो बार के विधायक कुलदीप जुनेजा के भाई स्व. बलवीर जुनेजा महापौर रह चुके हैं, कुलदीप खुद भी निगम की राजनीति में थे। पूर्व प्रत्याशी के लिहाज से कन्हैया अग्रवाल भी लिस्ट में हो सकते हैं। आरडीए अध्यक्ष रह चुके सुभाष धुप्पड़ का नाम भी दावेदारों में उछल सकता है। दक्षिण के दावेदार रहे सुशील सन्नी अग्रवाल का नाम कांग्रेस के कुछ नेता आगे बढ़ा सकते हैं। इसी तरह, सहकारी बैंक अध्यक्ष तथा रायपुर ग्रामीण से प्रत्याशी रह चुके पंकज शर्मा पर भी बात हो सकती है। कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला पर भी पार्टी में सक्रियता के कारण विचार हो सकता है। कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग में विकास उपाध्याय को भी दावेदार के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि पश्चिम से चुनाव हारने के बावजूद वे पार्टी में खासे सक्रिय हैं। कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष तथा राजधानी में अरसे से सक्रिय डा. राकेश गुप्ता पर भी पार्टी में विचार हो सकता है। हालांकि कांग्रेस में भी यह चर्चा जरूर है कि इनके अलावा टिकट के पैनल में कोई नया नाम भी आ सकता है।