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पीडब्लूडी ने ठेकेदारों को दी बड़ी राहत… महंगाई देखकर 10 साल बाद बढ़ाया सड़क-पुल बनाने का रेट… नई दरें नए साल से लागू

छत्तीसगढ़ के लोग निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) ने लेबर से लेकर मटेरियल के रेट पर पिछले 10 साल में हुई वृद्धि को देखते हुए सड़कें और पुलों के निर्माण तथा मरम्मत कार्यों का रेट बढ़ा दिया है। इसे ओएसआर कहते हैं, जो 2015 में बना था और सभी काम उसी समय के रेट पर चल रहे थे। डिप्टी सीएम तथा पीडब्लूडी मंत्री अरुण साव और पीडब्लूडी सेक्रेटरी डा. कमलप्रीत सिंह ने सड़क और पुलों के काम की नई दरों की लिस्ट का विमोचन किया। डिप्टी सीएम साव ने राजधानी में हुई प्रेस कांफ्रेंस में नए ओएसआर की घोषणा की, और बताया कि अभी प्रचलित एसओआर 1 जनवरी 2015 से लागू है। तब इसमें श्रमिकों की दर, सामग्री की दर एवं मशीनरी की दर वह ली गई थी, जो 2014 में चल रही थी। सभी दरें दस साल में काफी बढ़ चुकी हैं। इसलिए ओएसआर को अपडेट किया गया है। नया रेट अभी प्रचलित श्रमिकों की दर, मटेरियल की दर और इस्तेमाल की जाने वाली मशीनरी की दरों पर तैयार किया गया है। अपडेट किया गया रेट नया साल यानी 1 जनवरी 2025 से लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नई दरों से ठेकेदारों का जोखिम कम हो जाएगा। प्रेस कांफ्रेंस में ईएनसी केके पिपरी भी उपस्थित थे।

पीडब्लूडी महकमे के नए एसओआर में नई मशीनरी और निर्माण की नई तकनीकों को शामिल किया गया है। डिप्टी सीएम साव ने कहा कि इससे गुणवत्तापूर्ण कार्यों के साथ ही ठेकेदारों का वित्तीय जोखिम कम होगा। इसमें सड़कों के प्रभावी संधारण के लिए छत्तीसगढ़ में भी पीबीएमसी/ओपीआरएमसी (Peformance Based Maintenance Contract/Output and Performance Based Maintenance Contract) लागू किया जाएगा। इसके लिए विभाग जल्दी ही पायलेट प्रोजेक्ट शुरू करेगा। डिप्टी सीएम साव  ने बताया कि अपडेट दरों में जीएसटी शामिल नहीं था, क्योंकि यह तब लागू नहीं हुआ था। इसे भी ठेके का रेट बढ़ाने में शामिल किया गया है। अब ठेकेदार अपना टेंडर रेट जीएसटी सहित देंगे, जिससे ठेकेदार को इसका अलग से पेमेंट नहीं करना होगा। ऐसा करने से ठेकेदारों पर वित्तीय जोखिम नहीं आएगा।

डिप्टी सीएम साव ने मीडिया को बताया कि पिछले 10 वर्षों में नई टेकनालाजी आ गई है। निर्माण सामग्री में भी कई नए प्रयोग हो रहे हैं। आईआरसी ने अलग-अलग कार्यों में लगने वाले समय को भी बदला है। नए ओएसआर में इनका भी प्रावधान किया गया है। इनमें सीमेंट एवं केमिकल से स्वाइल स्टेबलाईजेशन, पेव्हमेंट व्हाइट टॉपिंग, रोड साइनेज में एल्युमिनियम कम्पोजिट मटेरियल शीटिंग का उपयोग, प्रीकास्ट आर.सी.सी. ड्रेन, प्रीकास्ट बाक्स कल्वर्ट, फाउंडेशन कार्य में आर.सी.सी. के उच्च ग्रेड एम-40, एम-45, एम-50 का उपयोग, सब-स्ट्रक्चर कार्य में प्री-स्ट्रेसिंग, बम्बू क्रैश बैरियर और नॉइज बैरियर जैसी नई चीजें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि नई दरों से निर्माण कार्यों के डीपीआर में लागत का वास्तविक आंकलन हो पाएगा। जो काम चल रहे हैं, उनकी लागत में पुनरीक्षित स्वीकृति की आवश्यकता कम होगी। इससे कार्यों की गुणवत्ता एवं काम समय-सीमा में पूर्ण करने में भी मदद मिलेगी।

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