नक्सलियों की 6 नंबर कंपनी को पता ही नहीं चला और चुपके से आई मौत… आधे घंटे में 31 का काम तमाम, फोर्स से एक घायल
यह अब तक का सबसे बड़ा और सफल आपरेशन, अप्रैल में मारे थे 29 माओवादी

नक्सलियों के अब तक के अभेद्य गढ़ माने जाने वाले दुर्गम अबूझमाड़ और आसपास के जंगलों में फोर्स ने नक्सलियों का बुरी तरह सफाया किया है। ओरछा के नेंदूर जंगल में 4 अक्टूबर को दोपहर एक बजे सटीक सूचना पर फोर्स ने नक्सलियों की 6 नंबर कंपनी को घेरा था। जो जानकारी आ रही है, उसके मुताबिक वहां 50 से ज्यादा नक्सली थे, जो फोर्स की जद में आ गए। सिर्फ आधा घंटे की गोलीबारी में फोर्स ने नक्सलियों को घेर लिया। आईजी पी सुंदरराज के मुताबिक मौके से नक्सलियों से 31 शव और भारी गोला-बारूद तथा आटोमेटिक गन्स मिली हैं। जवानों का अनुमान है कि जितने भी नक्सली भागे या अपने घायल साथियों को लेकर गए, लगभग सभी को गोलियां लगी हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि तीन से चार शव और मिल सकते हैं। इसे बस्तर में फोर्स का अब तक का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी आपरेशन माना जा रहा है। इससे पहले अप्रैल में फोर्स ने कांकेर में नदी किनारे बैठे नक्सलियों को घेरकर 29 को वहीं ढेर कर दिया था।
जिस जगह मुठभेड़ हुई, वहां जवानों ने आसपास के इलाके की सर्चिंग कर ली है। इसके अलावा और फोर्स भी सर्चिंग कर रही है। नक्सलियों के दो-तीन शव और मिल सकते हैं, ऐसी संभावना जताई जा रही है। जवान शवों को लेकर दंतेवाड़ा पहुंच रहे हैं। पार्टी पैदल मूव कर रही है, इसलिए समय लग रहा है। अफसरों ने बताया कि मारे गए सभी नक्सली वर्दी में थे। मारे गए हर नक्सली के पास हथियार मिला है। मारे गए सभी नक्सली दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की 6 नंबर कंपनी के बताए गए हैं। शवों के पास एलएमजी जैसी घातक राइफल के अलावा एके-47 और इन्सास राइफलें मिली हैं, इसलिए माना जा रहा है कि मारे गए दो-तीन नक्सली ईनामी कमांडर थे। दंतेवाड़ा मे शव लाए जाने के बाद अगले 24 घंटे में मारे गए तकरीबन सभी नक्सलियों की पहचान हो जाएगी, ऐसा सूत्रों का कहना है।
बस्तर में लड़ाई का कांसेप्ट ही बदल गया
नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले इलाके में पिछले छह सात महीने से मुठभेड़ों में बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए हैं और इससे बस्तर में लड़ाई का पूरा कांसेप्ट ही बदल गया है। अब तक यह इलाका नक्सलियों के डामिनेंस में था और अक्सर फोर्स ही एंबुश में घिरती थी। अब नक्सली न केवल घिर रहे हैं, बल्कि बड़ी संख्या में मारे भी जा रहे हैं। इससे फोर्स का मनोबल भी काफी बढ़ा हुआ है। जवानों ने जंगल में आपरेशन के दौरान अब वैसी सतर्कता भी बरतनी शुरू कर दी है, जैसी गुरिल्ला वारफेयर में बरती जाती है, क्योंकि यहां दुश्मन छिपा हुआ है। पहले फोर्स अक्सर नक्सलियों के निशाने रहती थी, लेकिन अब नक्सली फोर्स के निशाने पर हैं। आला पुलिस अफसरों का मानना है कि नई रणनीति के आने वाले दिनों में और ताकतवर परिणाम आएंगे।