लोहारीडीह हिंसाः आईपीएस विकास कुमार की गलती नहीं थी, यह सब जानते थे फिर भी सस्पेंड… ढाई माह बाद ये कहकर सस्पेंशन खत्म- सच में गलती नहीं थी
कवर्धा के लोहारीडीह में हुई हिंसा में इसी साल 19 सितंबर को सस्पेंड किए गए तत्कालीन एएसपी आईपीएस विकास कुमार को शासन ने बहाल कर दिया है। लोहारीडीह हिंसा में जब आईपीएस विकास को सस्पेंड किया गया था, आईपीएस लाबी ही नहीं बल्कि प्रदेश के अधिकांश जानकार लोगों को अंदाजा था कि उनकी कोई गलती नहीं थी। शुक्रवार को देर शाम गृह विभाग से जारी आदेश में ढाई महीने बाद लिखित तौर पर कहा गया कि आईपीएस विकास की उस मामले में कोई गलती नहीं थी, इसलिए सस्पेंशन खत्म करते हुए उन्हें बहाल किया जा रहा है। विकास की बहाली तो हो गई, पर ढाई माह पहले उठे सवाल का जवाब अब भी पुलिस मुख्यालय के किसी दिग्गज के पास नहीं है कि आखिरकार गलती किसकी थी… उस पर क्या कार्रवाई की गई… नहीं हुई तो होगी क्या… या फिर- अब जाने दो, बात काफी पुरानी हो गई…।
शासन से आईपीएस की बहाली का जारी आदेश
कवर्धा के एएसपी रहे आईपीएस विकास की छवि युवा और दबंग आईपीएस की थी और लगातार बातें हो रही थीं कि किसी न किसी मामले में उन पर गाज गिर सकती है। लोहारीडीह हिंसा के बाद सबसे पहले विकास कुमार को ही सस्पेंड किया गया था। सस्पेंशन आदेश 19 सितंबर को जारी हुआ था। इसमें गया था कि कर्तव्य पालन में अनियमितता और लापरवाही की वजह से विकास कुमार को सस्पेंड किया गया है। जूनियर आईपीएस को सस्पेंड करने का यह आदेश ऐसा था कि पुलिस मुख्यालय के अधिकांश आईपीएस गमगीन थे और दबी जुबान में कार्रवाई पर सवाल उठा रहे थे। लेकिन खुलकर किसी ने कुछ नहीं कहा, विकास कुमार सस्पेंशन को झेलते हुए उसी पीएचक्यू में आते-जाते रहे।
आईपीएस विकास बेकसूर थे, यह बात ऊपर तक पहुंची हुई थी, इसलिए काफी दिन से हल्ला उड़ता था कि सस्पेंशन खत्म होगा और बहाली हो जाएगी। आखिरकार 6 दिसंबर की शाम गृह (पुलिस) विभाग के सचिव हिमशिखर गुप्ता के दस्तखत से जारी आदेश में विकास का निलंबन खत्म कर बहाली की सूचना दी गई। आदेश के मुताबिक छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा ने पूरे मामले की जांच करवाने के बाद जो प्रतिवेदन शासन को सौंपा, उसमें अभिमत दिया गया कि विकास कुमार के कार्यों में किसी प्रकार की अनियमितता या लापरवाही नहीं पाई गई। इस आधार पर सस्पेंशन खत्म कर विकास को पुलिस मुख्यालय में एआईजी पदस्थ कर दिया गया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि विकास ने निलंबन के जितने दिन काटे, यह माना जााएगा कि वे नौकरी में ही थे।
अंत में एक सवाल, जो कई सीनियर-जूनियर आईपीएस का भी है… आखिर गलती किसकी थी, क्या उस पर कार्रवाई होगी, होगी भी या नहीं होगी?