शासन

1250 करोड़ के नए संसद परिसर में बारिश का पानी घुटनों तक…हमारी विधानसभा-मंत्रालय 11 दिन की झड़ी में भी सूखे-सूखे

दिल्ली से बड़ी खबर यह आई है कि बुधवार रात वहां हुई मूसलाधार बारिश का नए संसद भवन परिसर में राज्यसभा वाले हिस्से में घुटनों तक पानी भर गया। कोई विकल्प ही नहीं था, इसलिए संसद में आने-जाने वाले संसदीय अफसर-कर्मचारियों को बरसात के इस डबरे को डूबकर पार करना पड़ा। जिस हिस्से में पानी भरा, वह नए राज्यसभा भवन का है। खबरें तो यह भी आ रही हैं कि भारी बारिश के कारण बिल्डिंग में कुछ जगह पानी भी टपकने लगा है।

संसद भवन परिसर में बारिश का पानी भरने (वाटर लागिंग) की पहली तस्वीर देर रात सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जैसे ही आई, जैसे डिजिटल बाढ़ आ गई और विशेषज्ञों ने नई संसद के निर्माण की लागत से लेकर पूरी कुंडली का विश्लेषण कर डाला। ठीक इसी समय उत्तरप्रदेश में लखनऊ विधानसभा के कुछ हिस्से में भी बाढ़ का पानी भरने की खबर आई। इसके बाद तो आप समझ ही सकते हैं कि सोशल मीडिया के विशेषज्ञ कहां से कहां तक पहुंच गए होंगे। अंग्रेजों के बनाए हुए पुराने संसद भवन और परिसर की तस्वीरें भी वायरल की गईं और बताया गया कि दिल्ली में कितनी भी बारिश हो जाए, उस परिसर में बारिश खत्म होते ही पानी तुरंत सूख जाता है, कहीं रुकता नहीं है। बहरहाल, गुरुवार को दोपहर 12 बजे की खबर यह है कि संसद परिसर में भरे बाढ़ के पानी को 8 एक्जिट के जरिए बाहर कर दिया गया है और हालात सामान्य हैं।

रायपुर के संवैधानिक परिसरों में ऐसा नहीं

रायपुर पिछले लगभग 11 दिन से सावन की पहली झड़ी से गुजर रहा है। मंगलवार को दोपहर से शाम तक बारिश नहीं हुई थी। इसके अलावा पूरे 11 दिन रुक-रुककर या लगातार बारिश हो रही है। लेकिन हमारी संवैधानिक तथा राज्य की संस्थाओं में बाढ़ जैसी स्थिति न इस बार आई है, न पहले कभी देखी गई है। छत्तीसगढ़ का विधानसभा परिसर राज्य निर्माण के समय केंद्रीय भूजल बोर्ड के परिसर को लेकर तैयार किया गया था। तब से अब तक वहां कई निर्माण हो चुके हैं, लेकिन कभी बारिश का पानी भरने की सूचना नहीं आई। इसी तरह, मंत्रालय यानी महानदी और इंद्रावती भवन भी विशाल संरचनाएं हैं और नया रायपुर में मौजूदा शहर से ज्यादा बारिश होती है, फिर भी वहां से कभी वाटर लागिंग की शिकायतें नहीं मिली।

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