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कसडोल में घुसे टाइगर को सैकड़ों ने छतों से देखा, फोटो-वीडियो बनाए… वन अफसर खतरा उठाकर 10 घंटा पीछे घूमे… सीएम साय ने दी बधाई

छत्तीसगढ़ में तेंदुए और भालू अक्सर बस्तियों और छोटे शहरों में दाखिल होते रहते हैं, लेकिन टाइगर का किसी बस्ती में घुसना रेयरेस्ट आफ द रेयर जैसी घटना है। रायपुर से कुछ दूर कसडोल शहर में टाइगर घुसा और कई घंटे वहीं रहा। पूरी  बस्ती में दिनभर टाइगर के घुसने से अफरातफरी मची रही। सैकड़ों लोग दूर से और छतों से टाइगर को देखते रहे। उनमें डर भी था, इसलिए वन विभाग की रेस्क्यू टीम पहुंच गई थी। लेकिन बस्ती होने की वजह से उन्हें भी भारी मशक्कत करनी पड़ी। तकरीबन 10 घंटा पीछा करने के बाद टाइगर भी बाद टाइगर कोट बस्ती में पैरे के एक ढेर में टाइगर छिप गया। क्लीयर शाट मिला, इसलिए एक्सपर्ट ने उसे ट्रैक्यूलाइजर गन से बेहोशी का इंजेक्शन निशाने पर मारा। टाइगर कुछ देर तक होश में रकहा और पेट्रोल पंप के पीछे आ गया। यहीं उसे बेहोशी आई और लड़खड़ाते हुए बैठा। एहतियात बरतते हुए वन विभाग की टीम टाइगर के पास पहुंची। जब उसने बिलकुल हरकत नहीं की, तब उसे जाल वगैरह डालकर काबू कर लिया गया। वन बल प्रमुख वी श्रीनिवास ने बताया कि अब टाइगर को रेडियो कालर लगा दिया गया है। इसे एक-दो दिन में छत्तीसगढ़ के ही किसी टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा, ताकि उसे बेहतर भोजन और रहने की जगह मिल सके। कसडोल शहर से टाइगर रेस्क्यू के इस पूरे आपरेशन और जनजीवन की सुरक्षा के लिए जोखिम उठाने पर सीएम विष्णुदेव साय ने वन अफसरों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए ‘गुरू घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व‘ के रूप में एक नया टायगर रिजर्व मिल गया है। इस टाइगर रिजर्व के बनने से बाघों को नैचुरल हैबिटेट में बेहतर परिवेश मिल पाएगा और इनके बेहतर संवर्धन के अवसर मिलेंगे।
यह टाइगर करीब 8 माह पहले बारनवापारा में देखा गया था, तब से यहीं है। अनुमान है कि यह ओडिशा से आया होगा। तब से टाइगर बारनवापारा में सक्रिय था। बाघ की सक्रियता केवल कोर एरिया में रहे, इसके लिए वन विभाग ने पर्याप्त प्रयास किये थे। लेकिन पिछले कुछ समय से टाइगर कोर एरिया से बाहर निकल गया था और गांवों के नजदीक आने लगा था। वन विभाग तब से एलर्ट था। जैसे ही टाइगर के कसडोल में घुसने की खबर मिली, वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. पीके चंदन, नंदनवन-जंगल सफारी के डॉ. राकेश वर्मा तथा कसडोल की वेटनरी डाक्टर डॉ. रश्मिलता राकेश तुरंत कसडोल भेजे गए। इस बीच वहां वनबल प्रमुख पीसीसीएफ वी. श्रीनिवास राव भी पहुंच चुके थे। उनके साथ पीसीसीएफ प्रेम कुमार, कंजरवेटर राजु अगसिमनी, संचालक उदन्ती-सीतानदी सतोविशा समाजदार, डीएफओ बलौदाबाजार मयंक अग्रवाल तथा बारनवापारा अधीभक आनंद कुदरया भी थे।
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