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Earthquake-Analysis: तेलंगाना में सुबह 7.29 पर आए भूकंप के झटके बस्तर तक… रायपुर के नीचे चट्टानें ऐसी कि कंपन भी नहीं… सेंट्रल छत्तीसगढ़ में आशंका कम ही

तेलंगाना बार्डर पर मुलुगू इलाके में बुधवार को सुबह 7.29 बजे भूकंप आया। इस भूकंप की वजह से तेलंगाना से लगे बस्तर के तीन जिलों में सुबह बर्तन खड़खड़ाने लगे और लोग घरों से निकल गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.3 मापी गई। कायदे से ये झटके दुर्ग और रायपुर के कुछ हिस्सों में भी लग सकते थे, लेकिन न तो हुआ और न ही होने की संभावना है। छत्तीसगढ़ के भूगर्भविद डा. निनाद बोधनकर के मुताबिक रायपुर और सेंट्रल छत्तीसगढ़ के बड़े हिस्से में जमीन के काफी नीचेज करोड़ों साल पुरानी आग्नेय चट्टानों की प्लेट है, जो मामूली झटकों से हिलेगी भी नहीं। एक और विशेषता यह है कि इन बेहद सख्त चट्टानों के ऊपर यानी सतह तक चूना पत्थर और बेमेतरा से बिलासपुर के बीच कहीं-कहीं डोलोमाइट चट्टानें हैं। दोनों ही नरम चट्टानें हैं, अर्थात नीचे से थोड़ा बहुत कंपन आया भी, तो ये स्पंज या शाक एक्जार्बर की तरह काम करेंगी और झटकों को अपने भीतर निष्क्रिय कर देंगी। डा. बोधनकर ने बहुत साइंटिफिक तरीके से यह बातें बताईं, जिसे हम सरल और अवैज्ञानिक भाषा में लिख रहे हैं। लेकिन उनसे मिली जानकारियों का आशय यही है कि सेंट्रल छत्तीसगढ़ यानी रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर वालों इस बात से निश्चिंत रहना चाहिए कि इसके नीचे भूकंप कभी जनरेट नहीं होगा। जिस तरह बुधवार को मुलुगू में और 1992 में जबलपुर के आसपास भूकंप का एपिसेंटर था, वैसा भूकंप और इसका एपी सेंटर  सेंट्रल छत्तीसगढ़ के नीचे जनरेट होने की आशंका साइंटिफिक नजरिए से तो नहीं के बराबर है। प्रकृति कब क्या करेगी, यह बात अलग है।

वापस खबर पर लौटते हैं। तेलंगाना सीमा के करीब मुलुगू में भूकंप आया, यानी वहां भूकंप का एपीसेंटर था। भूकंप के केंद्र की गहराई 40 किमी और तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी गई। छत्तीसढ़ में तेलंगाना से लगे तीन-चार जिलों तक भूकंप की तरंगें आईं, इसलिए कंपन महसूस किया गया और कुछ लोगों ने अजीब सी गड़गड़ाहट सुनने का भी दावा किया, जो सच हो सकती है। भूकंप से झटकों से छत्तीसगढ़ में कोई नुकसान नहीं हुआ। केवल बस्तर के कुछ जिलों में इस वजह से लोग सुबह उठकर घरों से निकल गए और अब चर्चाएं जोरों पर हैं। डा. बोधनकर के मुताबिक जगदलपुर में मई में भी कंपन महसूस किया गया था। दरअसल छत्तीसगढ़ के नीचे चट्टानें सख्त हैं, लेकिन अब यहां भी माइक्रोसाइसमिक जोनेशन की जरूरत है, क्योंकि टैक्टानिक प्लेटों का मूवमेंट बना हुआ है। डा. बोधनकर के मुताबिक छत्तीसगढ़ में दो कमजोर स्पाट हैं, जहां आसपास भूकंप आने पर कंपन होता है। पहला महानदी रिफ्ट जो कोरबा से सरगुजा के कई हिस्सों में फैला है। दूसरा, गोदावरी रिफ्ट, जो तेलंगाना-आंध्र से बस्तर तक आता है। इसलिए बंगाल की खाड़ी से लेकर सीमावर्ती सदर्न राज्यों में जब भी भूकंप आता है, बस्तर में कंपन हो सकता है और ऐसा हो भी रहा है।

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