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सितंबर के बाद जिलाबदर का पहला आदेश बलौदाबाजार में, दो लोग और निकाले जाएंगे

अभी एक साल के लिए जिले से निकाला गया, सीमावर्ती 8 और जिलों में घुसने पर पाबंदी

छत्तीसगढ़ में पिछले साल विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले सितंबर की शुरुआत में जिलाबदर का आदेश हुआ था, उसके बाद जिलाबदर की शुरुआत अब हुई है। बलौदाबाजार में हुई हिंसा के मामले में वहां के कलेक्टर दीपक सोनी ने बलौदाबाजार शहर के ही सतीश डागोर को जिलाबदर कर दिया है। जिसे जिलाबदर किया गया है, वह बलौदाबाजार ही नहीं बल्कि इससे लगे बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, महासमुंद, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, बेमेतरा, सक्ती, दुर्ग और सारंगढ़ जिले में भी नहीं रुक सकता। आदेश में आरोपी को बलौदाबाजार के अलावा इन जिलों की सीमाओं से भी 1 जुलाई को रात 12 बजे से पहले बाहर जाने के लिए कह दिया गया है। बलौदाबाजार एसएसपी विजय अग्रवाल ने बताया कि पुलिस ने जिले में शांति बनाए रखने के लिए दो और लोगों को जिलाबदर करने की अनुशंसा की है, जिस पर कलेक्टर विचार कर रहे हैं।

जिलाबदर की कार्रवाई छत्तीसगढ़ सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 3 और 5-ख के तहत की जाती है। इसके अनुसार किसी अपराधी को पुलिस की अनुशंसा पर कलेक्टर सुनवाई के बाद जिलाबदर करने का आदेश जारी करते हैं। अधिनियम में जिलाबदर की अवधि 1 वर्ष है। जिसे जिलाबदर किया जाता है, वह संबंधित जिला ही नहीं बल्कि उसके सीमावर्ती जिलों में भी नहीं रह सकता है। जिलाबदर की अवधि के दौरान अगर कोई व्यक्ति संबंधित जिलों की सीमा में नजर आया, तो उसे पुलिस पूर्व के सीआरपीसी कानून में गिरफ्तार कर जेल भेज सकती है तथा उसके खिलाफ और कड़ी कार्रवाई की अनुंशसा कर सकती है।

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