भिलाई विवाद में कचहरी के चक्कर शुरू, सभापति की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

पूर्व सीएम भूपेश बघेल से दुर्व्यवहार को लेकर भिलाई से रायपुर तक चल रहे राजनैतिक बवाल में अब तक अलग-अलग पक्षों के खिलाफ पुलिस आधा दर्जन एफआईआर कर चुकी है। इनमें ज्यादातर मामले गैरजमानती हैं। सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच भिलाई नगर निगम के सभापति कृष्ण चंद्राकर ने अपरहण-मारपीट के मामले में दुर्ग के फर्स्ट एडीजे शेख अशरफ की अदालत में अग्रिम जमानत पेश की। अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
अपहरण और मारपीट के आरोप में भिलाई-3 पुलिस ने निगम सभापति कृष्ण चंद्राकर समेत आधा दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ गैरजमानती धाराओं में केस दर्ज किया था। इस केस में सभापति के अलावा कांग्रेस के पार्षदों टी रमना राव और अभिषेक वर्मा के अलावा पप्पू चंद्राकर, नजरुल इस्लाम, अशफाक अहमद तथा अन्य को आरोपी बनाया गया है। सभी को पूर्व सीएम भूपेश बघेल का समर्थक माना जाता है। पुलिस ने फिलहाल इनमें से किसी की गिरफ्तारी नहीं की है। चंद्राकर की ओर से सेशन जज की अदालत में पेश आवेदन में कहा गया था कि अपहरण और मारपीट का केस राजनैतिक रंजिश के कारण बनवाया गया है, जबकि ऐसी कोई घटना ही नहीं हुई है। सभापति चंद्राकर के आवेदन में यह भी कहा गया कि राजनैतिक तौर पर उनकी प्रतिष्ठा रही है। वे शुगर और बीपी के मरीज भी हैं। इसलिए अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए।
सेशन जज शेख अशरफ ने अग्रिम जमानत अर्जी पर दोनों पक्षों की सुनवाई की। जज ने फैसले में लिखा कि अपहरण और मारपीट के केस में अभियुक्त की संलिप्तता प्रतीत हो रही है। अपहरण के कारणों को इस स्तर पर विनिश्चत नहीं किया जा सकता है। केस की विवेचना चल रही है और पुलिस को अभी साक्ष्य इकट्ठा करने हैं। इस वजह से अग्रिम जमानत दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता। इस आधार पर जज ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है।