कमल विहार तालाब में रीटेनिंग वाल-पाथवे नहीं बना सकता निगम…वेटलैंड अथारिटी से जांच के आदेश
गजराज तालाब चर्चा मेंः सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से समाजसेवियों ने खोला मोर्चा

बूढ़ातालाब को राजधानी रायपुर के ऐतिहासिक तालाब का तमगा जरूर हासिल है, क्योंकि यह कम लोग जानते हैं कि फिलहाल शहर का सबसे बड़ा तालाब कमल विहार का 106 एकड़ में फैला गजराज तालाब है। यह तालाब विधानसभा में दिग्गज विधायक राजेश मूणत की ओर से उठाए गए मामले के बाद से चर्चा में हैं। अब इसी तालाब के किनारे रीटेनिंग वाल और पाथ-वे बनाने के खिलाफ वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डा. राकेश गुप्ता और मोनिका बागरेचा समेत समाजसेवी सामने आ गए हैं। उन्होंने शिकायत की है कि इस तालाब पर कब्जे तो हो ही रहे हैं, नगर निगम ने यहां 20 करोड़ रुपए का सौंदर्यीकरण कार्य मंजूर कर दिया है। इसके तहत रीटेनिंग वाल और पाथवे बनाए जा रहे हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है। इस आधार पर समाजसेवियों ने छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथारिटी से शिकायत की है कि नगर निगम का निर्माण भी अतिक्रमण की श्रेणी में आएगा, इसलिए यह नहीं होना चाहिए। शिकायत पर वेटलैंड अथारिटी ने रायपुर कलेक्टर को जांच के आदेश देते हुए रिपोर्ट मांगी है।
कलेक्टरग डा. गौरव कुमार रायपुर जिला वेटलैंड संरक्षण समिति के अध्यक्ष भी हैं। वेटलैंड अथारिटी के जांच के आदेश की कापी निगम आयुक्त आईएएस अबिनाश मिश्रा को भी सौंपी गई है। इस शिकायत के बारे में द स्तंभ को डा. राकेेश गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमके बालाकृष्णन ने इसी तरह के मामले में निर्णय दिया था। वेटलैंड यानी आद्रभूमि (पानी के ऊपर) संरक्षण और प्रबंधन के नियम 2017 का नियम चार 2.25 हेक्टेयर या उससे बड़ी आद्रभूमियों अर्थात वेटलैंड पर लागू है। गजराजबांध 106 एकड़ का होने के कारण यहाँ नियम 4 लागू होता है। जिसके अनुसार 2007 से 2017 तक के वेटलैंड के हाईएस्ट फ्लड लेवल से 50 मीटर छोड़ कर ही कोई पक्का निर्माण किया जा सकता है। शिकायत में बताया गया है कि गजराज तालाब की मेड़ पर बड़ी संख्या में पक्का निर्माण हुआ है, जो 50 मीटर के भीतर हैं। यही नहीं, अब नगर निगम ने भी गजराज तालाब में रिटेनिंग वॉल तथा पाथवे बनाकर 50 मीटर दायरे में सौन्दर्यीकरण के प्लान पर काम शुरू किया है। रीटेनिंग वाल और पाथवे, दोनों ही परमानेंट स्ट्रक्चर हैं, इसलिए इसे तालाब के 50 मीटर के दायरे में नहीं बनाया जा सकता।
वेटलैंड के दायरे में ही बना रहे रीटेनिंग वाल
समाजसेवी डा. गुप्ता और मोनिका बागरेचा ने बताया कि नगर निगम शहर के सभी तालाबों में रीटेनिंग वाल बना रहा है, जो तालाबों के निर्धारित फ्लड लेवल से हर हाल में 50 मीटर के भीतर है। रिटेनिंग वाल बनाने से पानी रिचार्ज और रिसाव, दोनों रुकते हैं और तालाब की बायो-डायवर्सिटी पर अंतर पड़ता है। मोनिका ने कहा कि वे खुद गजराज तालाब की सफाई का ध्यान रखती हैं, वहां वृक्षारोपण भी करवाया है। न सिर्फ इस तालाब, बल्कि शहर के सभी तालाबों को निजी और सरकारी, दोनों तरह के अतिक्रमण से मुक्त करना जरूरी है, अन्यथा रायपुर के तालाब डेड वाटरबाडी होने लगेंगे।