आम धारणाः सिटी में ज्यादा वोटिंग से भाजपा को लाभ…छत्तीसगढ़ के शहरों में ही वोटिंग में कम वृद्धि
11 लोकसभा सीटों पर 2019 और 2024 की वोटिंग का तुलनात्मक विवरण
छत्तीसगढ़ की सभी 11 संसदीय सीटों पर मतदान थोड़ा-थोड़ा बढ़ा है, लेकिन कुछ बातें ऐसी भी हैं जो चौंका सकती हैं। आम धारणा है कि पूरे मध्य और पश्चिमी भारत में शहरों में ज्यादा मतदान की स्थिति को आमतौर से भारतीय जनता पार्टी के लिए फायदेमंद माना जा सकता है। इस धारणा के प्रकाश में छत्तीसगढ़ की 11 सीटों पर वोटिंग में वृद्धि का विश्लेषण करेंगे तो पता चलता है कि पिछले चुनाव के मुकाबले यहां शहरों में मतदान में वृद्धि बहुत कम है, जिसे नहीं के बराबर मान सकते हैं। इस मामले में कोरबा ने रिकार्ड तोड़ दिया है। वहां मतदान पिछले चुनाव की तुलना में केवल 0.35 प्रतिशत ही अधिक हुआ है। इसी तरह बिलासपुर में वृद्धि केवल 0.41 प्रतिशत और रायपुर में 0.82 प्रतिशत ही है। रायगढ़ में मतदान 1.07 प्रतिशत और महासमुंद में 0.51 प्रतिशत ही बढ़ा है। राजनांदगांव में वृद्धि इनसे मामूली ज्यादा यानी 1.38 फीसदी ही है। केवल दुर्ग लोकसभा क्षेत्र ही अपवाद है, जहां पिछले चुनाव के मुकाबले वोटिंग 2.0 प्रतिशत ज्यादा हुई है।
छत्तीसगढ़ को अभी वोटों की गिनती के लिए पूरे 26 दिन इंतजार करना है। इस दौरान जितने भी आंकलन होंगे, अनुमान लगाए जाएंगे, विश्लेषण होंगे या चौक-चौराहों पर भविष्यवाणी का दौर चलेगा, सब कुछ मतदान पर ही आधारित रहेगा। द स्तंभ को सभी सीटों पर मतदान के जो अंतिम अधिकृत आंकड़े मिले हैं, एक बार उन पर नजर डालिए, तो पता चलेगा कि सरगुजा, बस्तर और कांकेर ही ऐसी सीटें हैं, जहां मतदान 2 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है। सरगुजा में तो पिछले चुनाव की तुलना में वोटिंग में इस दफा हुई वृद्धि प्रदेश में सर्वाधिक (2.59 प्रतिशत) है। बस्तर में मतदान 2.25 प्रतिशत बढ़ा है, तो कांकेर में भी करीब दो प्रतिशत (1.96) वृद्धि रिकार्ड हुई है। मतदान में लगभग इतनी ही वृद्धि (1.98 प्रतिशत) जांजगीर-चांपा संसदीय क्षेत्र में भी रही है।
कम या ज्यादा वोटिंग आधार नहीं, पिछले चुनाव में रायपुर और बस्तर उदाहरण
हालांकि मतदान में वृद्धि या कमी को छत्तीसगढ़ में वोटिंग के किसी ट्रेंड से नहीं जोड़ा जा सकता। पिछले लोकसभा चुनाव में भी छत्तीसगढ़ की अधिकांश सीटों पर मतदान में वृद्धि 2 प्रतिशत से 0.5 प्रतिशत के बीच यानी कम थी। तब यहां की 11 सीटों में से 9 भाजपा ने जीती थी। पिछले चुनाव में प्रदेश में सबसे कम 66 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन यहां भाजपा के प्रत्याशी साढ़े 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे। इसके विपरीत, बस्तर में पिछले चुनाव में रायपुर से थोड़ा ही अधिक (66.04 प्रतिशत) मतदान हुआ था, और वहां कांग्रेस के प्रत्याशी मोदी लहर में भी चुनाव जीते थे।