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विधानसभा कल से शुक्रवार तक…बृजमोहन राज्य बनने के बाद पहली बार नहीं होंगे…विपक्ष कानून-व्यवस्था पर रहेगा गर्म

छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र कल, सोमवार 22 जुलाई से शुरू होकर शुक्रवार तक चलेगा। सत्र में पांच बैठकें होंगी। सत्र के दौरान कांग्रेस ने कानून-व्यवस्था और बलौदाबाजार में अरेस्टिंग के खिलाफ जमकर विरोध की तैयारी कर ली है। विरोध विधानसभा के भीतर तो रहेगा ही, 24 जुलाई को सड़क पर भी दिखेगा क्योंकि इस दिन कांग्रेस विधानसभा का घेराव करने जा रही है। इधर, सत्तापक्ष भी हर मुद्दे पर विपक्ष को तगड़ा जवाब देने के लिए तैयार है। सीएम विष्णुदेव साय खुद भी पांचों दिन विधानसभा सत्र में हिस्सा लेंगे। नई बात यह है कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन यानी लगभग 24 साल बाद यह विधानसभा का ऐसा सत्र होगा, जिसमें बृजमोहन सदस्य के तौर पर नजर नहीं आएंगे। बृजमोहन अकेले हैं, जिनका इन ढाई दशकों में विधानसभा में कोई गैप नहीं हुआ। फर्क सिर्फ इतना है कि इस दौरान वे तीन बार मंत्री रहे और दो बार सदन में विपक्षी सदस्य के तौर पर उनका प्रदर्शन जोरदार रहा।

रविवार को राजधानी के एक होटल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें नेता प्रतिपक्ष डा. चरणदास महंत, पूर्व सीएम भूपेश बघेल और  टीएस सिंहदेव समेत सभी अधिकांश विधायक शामिल हुई। इस दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता भी नजर आए, जो पिछले विधानसभा में हारने की वजह से सदन के सदस्य नहीं हैं। विपक्ष ने पूरे सत्र के दौरान कानून-व्यवस्था समेत कई मुद्दों पर सत्तापक्ष को आड़े हाथों लेने की रणनीति तैयार कर ली है। इधर, सरकार ने भी कानून-व्यवस्था और नक्सल मामलों को लेकर जवाबी तैयारी कर रखी है। साय सरकार की ओर से बस्तर में नक्सल उन्मूलन को लेकर तगड़ा स्टैंड लिया जाएगा। साथ ही विपक्ष पर इस आरोप के साथ कड़े प्रहार किए जाएंगे कि पिछली सरकार के कार्यकाल में अपराध होते रहे, लेकिन एफआईआर नहीं की जाती थी, जो अब भाजपा सरकार कर रही है।

सत्तापक्ष में भी बृजमोहन की कमी की चर्चाएं

रायपुर से 8 बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल सदन के बजट सत्र में उपस्थित थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट दिया गया, जिसमें भारी वोटों से जीतकर वे सांसद तो बने, लेकिन विधानसभा से इस्तीफा देना पड़ा। लिहाजा, कल शुरू होने वाला मानसून सत्र पहला होगा, जिसमें बृजमोहन नजर नहीं आएंगे। छत्तीसगढ़ में लगभग ढाई दशक तक बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, प्रेमप्रकाश पांडे और शिवरतन शर्मा की चौकड़ी विधानसभा में अच्छा परफार्म करती रही। प्रेमप्रकाश और शिवरतन लगातार सदस्य नहीं रहे। पिछली विधानसभा में भी विपक्ष की ओर से ताकतवर हमलों में बृजमोहन और अजय ही आगे नजर आए। राजेश मूणत पिछली विधानसभा में सदस्य नहीं थे, इस बार सत्तापक्ष के विधायक हैं। हालांकि वे भी कई बार मुद्दों को लेकर सत्तापक्ष में रहने के बावजूद कड़ा प्रहार करते देखे जाते हैं। हालांकि मूणत और अजय के साथ अमर अग्रवाल भी वरिष्ठ विधायक तौर पर सदन में होंगे। विपक्ष को इस बार रविंद्र चौबे और मोहम्मद अकबर की कमी खल सकती है, हालांकि विपक्ष को ताकत देने के लिए डा. महंत और भूपेश बघेल सदन में रहेंगे।

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