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“बार” का टाइगर हमारा है…उसे बाहर जाने से रोकने जंगल में उतारेंगे 4 कुमकी हाथी

टाइगर स्पेशलिस्ट Re. IFS मूर्ति ने दो दिन बार में रहकर कर्मियों को दी ट्रेनिंग

बारनवापारा में मार्च में बाहर से आए टाइगर का यहीं स्थायी बसेरा हो जाए, इसके लिए वन विभाग ने कोशिश शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश के रिटायर्ड टाइगर विशेषज्ञ श्रीनिवास मूर्ति इसी बाघ की मानीटरिंग और सुरक्षा की रणनीति बनाने के लिए दो दिन बारनवापारा अभयारण्य में रहे। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी तरह बाघ को रेडियो कालर पहनाया जाए। यह भी कहा कि कम से कम 4 कुमकी हाथियों को जंगल में वहीं तैनात किया जाए, जहां टाइगर का मूवमेंट है। बार में काफी भोजन-पानी है। कुमकी हाथी से टाइगर को इसी जंगल में रोकने में भी मदद मिलेगी और लोगों की सुरक्षा के लिए भी वे महत्वपूर्ण साबित होंगे।

बार में रुके, अफसरों से बात की श्रीनिवास मूर्ति ने

बलौदाबाजार वनमंडल के अंतर्गत आने वाले बारनवापारा अभ्यारण्य में टाइगर स्पेशलिस्ट श्रीनिवास मूर्ति 26 और 27 जून को रुके। इस दौरान उन्होंने बार में घूम रहे अकेले टाइगर की निगरानी तथा सुरक्षा के लिए तैनात अधिकारी-कर्मचारियों की दो बार बैठक ली। जहां ट्रैप कैमरों के हिसाब से टाइगर मूव कर रहा है, मूर्ति ने वहां का भी बारीकी से जायजा लिया। इसके बाद उन्होंने सुझाव दिया कि इस टाइगर को किसी तरह ‘‘रेडियो कालर‘‘ पहनाया जाए। उन्होंने कहा कि टाइगर को जितना भोजन चाहिए और जितनी वाटरबाडी की जरूरत है, बार में वह है। वहां ज्यादा टाइगर भी आसानी से विचरण कर रकते हैं। इन अनुशंसाओं के साथ उन्होंने बलौदाबाजार, देवपुर एवं बल्दाकछार रेंज के पूरे स्टाफ को टाइगर को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी ट्रेनिंग भी दी है।

पन्ना में शून्य से 32 टाइगर मूर्ति के कार्यकाल में

वन अफसरों के मुताबिक रिटायर्ड आईएफएस आर श्रीनिवाल मूर्ति पन्ना टायगर रिजर्व में फील्ड डायरेक्टर से रिटायर हुए। श्रीनिवास पन्ना टाइगर रिजर्व में 2009 से 2015 तक फील्ड डायरेक्टर रहे। जब वे वहां पदस्थ हुए, एक भी टाइगर नहीं था। उनके रिटायर होने तक बाघों की संख्या 32 हो गई। अभी पन्ना में 90 टाइगर हैं।

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