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भारतमाला रोड के अभनपुर भू-अर्जन में 50 करोड़ का घपला… अब जगदलपुर निगम कमिश्नर सस्पेंड… एक डिप्टी कलेक्टर भी दोषी पर एक्शन बाकी

भारतमाला सड़क प्रोजेक्ट के रायपुर-विशाखापट्नम पार्ट में अभनपुर-आसपास भूअर्जन में तीन साल पहले तकरीबन 50 करोड़ रुपए के घोटाले में जगदलपुर के मौजूदा निगम कमिश्नर तथा राज्य प्रशासनिक सेवा के आला अफसर निर्भय कुमार साहू को सस्पेंड कर दिया गया है। रायपुर प्रशासन दो साल पहले अपर कलेक्टर तथा ज्वाइंट कलेक्टर की टीम से भूअर्जन की शिकायतों की जांच करवाई थी, जो सही पाई गई थीं। उच्चस्तरीय जांच रिपोर्ट में माना गया कि उस वक्त अभनपुर इलाके में सड़क के जिले जितनी जमीन का अधिग्रहरण किया गया, उन्हें वास्तविक मुआवजे से अधिक राशि का भुगतान कर दिया गया। यह राशि 45 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई है। जांच टीम ने इस मामले में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारियों को अपनी रिपोर्ट में जिम्मेदार माना था। यह रिपोर्ट तत्कालीन कलेक्टर ने राजस्व विभाग को भेजी थी, जिसके आधार पर छह माह पहले राजस्व विभाग ने इस मामले में अभनपुर में पदस्थ तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण (अभी तहसीलदार) तथा तीन पटवारियों जितेंद्र साहू, दिनेश पटेल और लेखराम देवांगन को सस्पेंड किया था। मंगलवार को सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने अपर कलेक्टर साहू को सस्पेंड किया गया। इसी मामले में एक मौजूदा डिप्टी कलेक्टर पर भी एक्शन होना था जो क्यों नहीं हुआ, अभी इस बारे में जानकारी नहीं है।

द स्तंभ के पास राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी आदेश की प्रति है। इस आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में भारतमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत बन रहे रायपुर-विशाखापटनम इकानामिक कारीडोर के सड़क निर्माण में अभनपुर अनुविभाग के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में निजी भूस्वामियों को भूअर्जन के रूप में वास्तविक से अधिक मुआवजा राशि का भुगतान कर दिया गया। इस तरह, निजी भूमिस्वामियों को अवैध रूप से लाभ पहुंचाया गया। जांच रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यह राशि 45 करोड़ रुपए से अधिक है। इस मामले में आज सस्पेंड किए गए निर्भय कुमार साहू अभनपुर के तत्कालीन अनुविभाग अधिकार तथा सक्षम प्राधिकारी-भू अर्जन थे। इस मामले में तब गोबरा नवापारा के नायब तहसीलदार के अलावा नायकबांधा हल्का के दो पटवारी और टोकरा हल्के के पटवारी को भी पूर्व में सस्पेंड किया जा चुका है। इसी मामले में दोषी ठहराए गए तत्कालीन तहसीलदार कार्रवाई से बचे हैं, जो अभी डिप्टी कलेक्टर हैं।

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