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विष्णु का सुशासन… साय सरकार ने किसानों के खाते में 49 हजार करोड़ रु. भेजे… यह प्रदेश के कुल बजट से करीब आधा… अब खरीदेंगे 160 लाख टन धान
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने गुड गवर्नेंस के मामले में कई क्षेत्रों में अपनी ताकत और कौशल दिखाया है। सिर्फ किसानों की बात करें, तो धान की इकानामी के साथ किसानों को सक्षम बनाने के लिए सरकार ने इनके खातों में धान खरीदी तथा कृषक उन्नति योजनाओं के जरिए अब तक 49 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए हैं। यह रकम छत्तीसगढ़ के कुल वार्षिक बजट की आधी से कुछ कम है। यही नही, इस बार सरकार किसानों से 160 लाख टन धान खरीदने जा रही है। इस तरह, अगले एक वर्ष में किसानों के बैंक खातों में इस बार से ज्यादा रकम ट्रांसफर होने की संभावनाएं बन गई हैं।
छत्तीसगढ़ में कृषक उन्नति योजना किसानों के लिए नया संबल बनी है तथा किसान खुशहाल हुए हैं। राज्य सरकार के किसान हितैषी फैसलों का असर अब साफ दिखाई देने लगा है। बीते खरीफ विपणन वर्ष में किसानों से 145 लाख टन धान समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था। इसके एवज में किसानों को 32 हजार करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। यही नहीं, विष्णुदेव साय सरकार ने अपने संकल्प के अनुरूप राज्य के किसानों को दो साल के धान की बकाया बोनस राशि के 3716 करोड़ रूपए का भुगतान कर दिया है। यही नहीं, धान की अंतर राशि के रूप में 13 हजार 320 करोड़ रूपए किसानों के खाते में दिए जा चुके हैं। इस तरह, किसानों को कुल मिलाकर 49 हजार करोड़ रूपए सीधे उनके बैंक खातों में दिए गए हैं। यह राशि छत्तीसगढ़ के एक लाख करोड़ रुपए से अधिक के वार्षिक बजट की लगभग आधी ही है।
सीएम साय की सरकार समर्थन मूल्य पर इसी माह यानी 14 नवम्बर से धान खरीदी करने जा रही है। धान उपार्जन केन्द्रों में सभी तैयारियां की जा रही हैं। इस साल प्रदेश में बेहतर बारिश एवं अनुकूल मौसम के कारण धान के बंपर उत्पादन की उम्मीद है। इसी वजह से समर्थन मूल्य पर 160 लाख टन धान खरीदी का अनुमान है। बता दें कि धान खरीदी 31 जनवरी 2025 तक चलनेवाली है। अफसरों ने बताया कि इन सबके अलावा किसानों को खेती-किसानी के लिए वर्तमान खरीफ सीजन में 6500 करोड़ रूपए के अल्पकालीन ऋण बिना ब्याज के दिए जा चुके हैं। अधिक से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। यहां के किसान अब ई-नाम पोर्टल (कृषि बाजार) के माध्यम से अपने उपज का अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।