महानदी पुल पर माब लिंचिंग में दो मौतें, दोषियों को सजा देने राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग
महानदी पुल पर हफ्तेभर पहले माब लिंचिंग में सहारनपुर के दो युवकों की मौत और एक के गंभीर घायल होने का मामला अब गरमाने लगा है। छत्तीसगढ़ नागरिक समाज ने माब लिंचिंग के विरोध में तथा दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर शांति मार्च निकाला। इसके बाद राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें दोषियों को गिरफ्तार कर विधि सम्मत सजा तथा न्याय दिलाने के लिए राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की गई।
राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में नागरिक समाज की ओर से कहा गया है कि शांति, सौहाद्र, सद्भाव के टापू छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह पहली चिंताजनक और दर्दनाक वारदात है। एक दर्जन से अधिक लोगों ने 7 जून शुक्रवार की सुबह तीन युवकों को पशु तस्करी का संदेह कर बुरी तरह पीटा और महानदी पुल से नीचे फेंक दिया। इनमें दो युवकों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, तीसरा मरणासन्न है। ज्ञापन में कहा गया है- इस सुनियोजित वारदात ने छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। ऐसी भयानक घटना में कानूनी कार्रवाई मैं लगातार देरी चिंताजनक और संदेहास्पद है। विशेष धर्म और जाति को निशाना बनाकर की गई सामूहिक मारपीट “भीड़” द्वारा हत्या किए जाने का राज्य में पहला दुखद उदाहरण है। इस मामले में पुलिस की अनावश्यक धीमी जांच अपारदर्शी और न्याय संगत नहीं है।
मृतकों को मुआवजा, हत्या की धाराएं लगाई जाएं
ज्ञापन ने नागरिक समाज ने राज्यपाल से निवेदन किया है कि इस जघन्य हत्याकांड का संज्ञान लें और अपराधियों को शीघ्र गिरफ्तार कर उन पर धारा 302 के अलावा अन्य आपराधिक धाराएं भी लगाई जाएं। यही नहीं, माब लिंचिंग में मारे गए दो युवकों के परिजन को तत्काल राहत के तौर पर 10-10 लाख रुपए दिए जाएं और गंभीर रूप से घायल तीसरे युवक को उचित उपचार और मुआवजा दिया जाए। शांति मार्च में डा. राकेश गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता फैसल रिजवी, उमाप्रकाश ओझा, गौतम बंदोपाध्याय, सादिक अली, नौमान अकरम हामिद और राहिल रऊफी समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। गौरतलब है, रायपुर पुलिस ने इस मामले में जांच कमेटी बनाई है, और तब से जांच ठंडे बस्ते में चली गई है। जांच टीम अब तक यह नहीं बता पा रही है कि एक हफ्ते में उन्होंने किया क्या है।