रायपुर दक्षिण उपचुनाव… 1 लाख 25 हजार लोग मतदान के लिए नहीं निकले… क्या घट जाएगा जीत-हार का अंतर?
आम विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ की 86 सीटों पर जितनी वोटिंग होती है, अमूमन रायपुर की चार सीटों का मतदान उससे हमेशा कम ही रहता है, लेकिन रायपुर दक्षिण उपचुनाव में मतदाताओं ने कम वोटिंग का रिकार्ड बना दिया है। निर्वाचन आयोग ने रात 9 बजे 50.50 प्रतिशत यानी तकरीबन आधी वोटिंग के आंकड़े जारी किए हैं। अफसरों के मुताबिक आंकड़े कल सुबह तक बदलेंगे अर्थात बढ़ेंगे। बढ़कर कहां तक जाएंगे, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन जाहिर है कि एक-दो प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि नहीं होगी। रायपुर दक्षिण में 2 लाख 73 हजार मतदाता हैं। अगर 51 फीसदी मतदान का हिसाब लगाएं, तब भी यह बात साफ हो जाती है कि 1 लाख 25 हजार से ज्यादा लोग मतदान करने ही नहीं गए।
इस विधानसभा क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से 25 हजार ज्यादा है। लेकिन यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि पुरुषों ने कम वोट दिया, महिलाओं ने रुचि नहीं दिखाई, या फिर वोट नहीं देने के मामले में महिला और पुरुष बराबर रहे। गुरुवार को दोपहर तक यह आंकड़े भी साफ होंगे। लेकिन राजनीति के तमाम विश्लेषक, मतदान को लेकर खासी रिसर्च रखनेवाले आला अफसर और चौक-चौराहों के चुनाव विशेषज्ञ… सभी इतनी कम पोलिंग से हैरान हैं। सबका अपना-अपना कारण है। द स्तंभ ने कई जानकारों से बात की। सभी खुलकर कम मतदान के बारे में कुछ कहने से बच रहे हैं। राजनैतिक दल इस मतदान को लेकर अलग-अलग पूर्वानुमान पेश कर रहे हैं, लेकिन असल वजह तो उनकी समझ से भी परे है। क्योंकि अब वो स्थिति नहीं है कि यह कहा जा सके कि कम मतदान होगा तो यही जीतेंगे, या वही हारेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव ने ऐसी सारी मान्यताओं को ध्वस्त किया है। जहां कम मतदान हुआ, वहां भी सत्ताधारियों का प्रत्याशी जीत गया। जहां ज्यादा मतदान हुआ, वहां लहर का दावा करने के बावजूद विपक्षी प्रत्याशी भारी अंतर से निपट गए। इसलिए कम मतदान से जीत-हार के बारे में भविष्यवाणी करना संभव नहीं है, हालांकि लोग ऐसा करेंगे। पर ज्यादातर लोगों का मानना है कि इतनी कम वोटिंग के कारण हार-जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं रहेगा।