राहुल फार्म लेकर कलेक्टर के सामने अकेले पहुंचे, देशभर के आईएएस-आईपीएस में चर्चा
आमतौर से राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की कोशिश रहती है कि नामांकन फार्म दाखिल करने के लिए कलेक्टर (जिला निर्वाचन अधिकारी) के सामने ज्यादा से ज्यादा लोगों को लेकर जाएं, जिनमें सीएम से लेकर सांसद-विधायक भी हों। यहां तक कि कलेक्टरों को यह नोटिस निकालनी पड़ती है कि अभ्यर्थी के साथ 3 से ज्यादा लोग नहीं आएंगे। लेकिन राहुल गांधी ने रायबरेली में नामांकन दाखिला इस तरह किया कि पूरे देश की आईएएस-आईपीएस लाबी में इसकी चर्चा हो गई। राहुल, उनकी मां सोनिया गांधी, बहन प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ नामांकन रैली में हजारों लोग शामिल थे, लेकिन कलेक्टर के डायस पर फार्म लेकर राहुल अकेले ही दाखिल हुए। उन्होंने अपने साथ न तो वकील रखा और न ही कोई नेता। उसी हाल में बाकी सभी दूर एक सोफे पर बैठे रहे। जिला निर्वाचन अधिकारी के तौर पर कलेक्टर ने उनके नामांकन के दो सेट लिए। इसके बाद सोनिया, प्रियंका और खड़गे कलेक्टर के डायस के पास पहुंचे, राहुल समेत सभी ने उनका अभिवादन किया और बाहर निकल आए। छत्तीसगढ़ के ही कई आईएएस-आईपीएस तथा केंद्रीय सेवाओं से जुड़े अफसरों का मानना था कि सही सिस्टम यही है, जिसका हर किसी को पालन करना चाहिए।
तीन बार के विधायक दिनेश प्रताप सिंह को पिछले चुनाव में सोनिया ने हराया था
भारतीय जनता पार्टी ने रायबरेली से वरिष्ठ भाजपा नेता दिनेश प्रताप सिंह को दोबारा चुनाव मैदान में उतारा है। दिनेश तीन बार के विधायक हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में वे सोनिया गांधी से 1 लाख 60 हजार वोटों से हारे थे। दिनेश प्रताप की रायबरेली में अच्छी छवि है और उन्हें पकड़ वाले नेता के रूप में देखा जाता है।
सोनिया यहां से चार बार सांसद, इंदिरा गांधी तीन बार, यहां से कांग्रेस सिर्फ 3 बार हारी
रायबरेली सीट के बारे में आपको बता दें कि यह कांग्रेस तथा गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है। 1957 में फिरोज गांधी यहां से सांसद बने थे। इंदिरा गांधी 1967, 1971 और 1980 में सांसद बनीं, लेकिन 1977 में जनता पार्टी के राजनारायण से चुनाव हार गई थीं. अरुण नेहरू और शीला कौल यहां से कांग्रेस के दो-दो बार सांसद बने। राजनारायण के बाद भाजपा के अशोक सिंह ही ऐसे हैं, जो दो बार, 1996 और 1998 में रायबरेली से सांसद बने। 2004 से अब तक सोनिया गांधी इसी सीट से चार बार जीत चुकी हैं।