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शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट की लाइन- No predicate offence, No proceeds of crime, so no Momey Laundering…से जांच सन्नाटे में

सोमवार को शीर्ष कोर्ट में फिर सुनवाई, रायपुर में अनवर-अरविंद की पेशी भी

  • सुप्रीम कोर्ट में याचिककर्ता पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, यश टुटेजा, करिश्मा ढेबर, अनवर ढेबर, पूर्व अफसर अरुणपति त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया की ओर से याचिका लगाई गई है। सभी छह याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में हो रही है। इस बीच, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने टुटेजा पिता-पुत्र को गुरुवार को ही दंडात्मक कार्रवाई से राहत दे दी है।

छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में छह याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की डबल बेंच ने शुक्रवार को कहा था- No predicate offence, No proceeds of crime, so no Momey Laundering… … (कानूनविदों के अनुसार इस लाइन का आशय यह है- कोई अपराध और अपराध की आय नहीं है, तो मनीलांड्रिंग भी नहीं)। इस लाइन ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की एसीबी-ईओडब्लू की जांच पर ही जैसे अल्पविराम लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट 8 अप्रैल, सोमवार को य़ह लोगों की अल–अलग याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करनेवाला है। छत्तीसगढ़ के तमाम आला अफसरों और जांच एजेंसियों की निगाहें शीर्ष कोर्ट के इस फैसले पर हैं, क्योंकि जांच की दिशा इसी से तय होनी है। याचिका जिन लोगों की ओर से लगाई गई है, उनमें एक अनवर ढेबर अभी एसीबी-ईओडब्लू की हिरासत में है।

शराब घोटाले में एसीबी-ईओडब्लू ने शुक्रवार को अनवर को गिरफ्तार किया था, उसी दिन दो आला आबकारी अफसरों को पूछताछ के लिए भी बुलाया था। उन्हें रात में छोड़ा गया। इससे आबकारी अमले में भी खलबली मच गई थी, क्योंकि इस केस में आबकारी विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर, दर्जनों जिला आबकारी अधिकारियों और इंस्पेक्टरों को मिलाकर चार दर्जन से ज्यादा आरोपी बनाए गए हैं। माना जा रहा था कि अनवर की रिमांड तक बड़ी संख्या में आबकारी अफसरों को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है और एकाध गिरफ्तारी भी हो सकती है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुई। पता चला है कि उसके बाद किसी आबकारी अफसर को पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाया गया, क्योंकि उसी दिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी वायरल हो गई थी।

आबकारी अफसरों समेत 71 के नाम हैं ईडी की एफआईआर में

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय ने आयकर विभाग की सूचना के आधार पर शुरू की थी। इस मामले में पीएमएलए एक्ट के तहत मनीलांड्रिंग का मामला बनाया गया था। बाद में ईडी ने छत्तीसगढ़ की एजेंसी एसीबी-ईओडब्लू में एफआईआर करवाई थी। इसमें कहा गया है कि यहां 2160 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया। इस मामले में आईएएस, पूर्व आईएएस, आबकारी अफसरों, शराब कारोबारियों और प्रभावशाली लोगों को शराब सिंडीकेट का हिस्सा बताते हुए 71 लोगों तथा फर्मों के खिलाफ दफा 420, 467-468 तथा सहपठित धाराओं में केस दर्ज किया है।

दो लोगों की ही गिरफ्तारी हुई है, आगे की कार्रवाई फैसले के बाद

जनवरी में ईडी की ओर से करवाई गई इस एफआईआर के बाद एसीबी-ईओडब्लू ने हाल में जांच शुरू करते हुए पहली अरविंद सिंह और फिर अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया। अनवर को 8 अप्रैल यानी सोमवार को ही रिमांड के बाद एसीबी-ईओडब्लू को अदालत में पेश करना है। सूत्रों के मुताबिक एजेंसी ने अनवर के लिए 15 अप्रैल तक की रिमांड मांगी थी, लेकिन विशेष अदालत ने काफी तर्क-वितर्क के बाद सिर्फ तीन दिन (8 अप्रैल) तक की ही रिमांड दी थी। लेकिन रिमांड के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। माना जा रहा है कि उसके बाद से जांच की रफ्तार धीमी हो गई है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई के बाद इस मामले में अहम फैसला दे सकती है, ऐसा वकीलों का कहना है।

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