डाक्टरों के संगठन आईएमए में विभाजन रेखा खींची राजधानी में अलाट जमीन ने… यहां भवन नहीं बन पाया, इसलिए गोलबंदी

डाक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) रायपुर में भाजपा और कांग्रेस की पालिटिक्स होने की कई वजहें हैं, लेकिन इस संगठन को कालीबाड़ी क्षेत्र में अलाट जमीन में पिछले पांच-छह साल से भवन नहीं बन पाना विभाजन की सबसे बड़ी वजह बनी है। आईएमए को पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने अपने भवन के लिए रायपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के एक-दो शहरों में सरकारी जमीन अलाट की थी, ताकि संगठन अपना भवन बनाकर वहां अपनी गतिविधियों का संचालन कर सके। भवन निर्माण के लिए सरकार से मदद नहीं मिल पाई, जिससे रह-रहकर यह मुद्दा गरमाता रहा और डाक्टर गोलबंद होते रहे। इसके साथ कुछ और छोटे-छोटे मुद्दों ने डाक्टरों में आपस में दूरियां बढ़ाईं, आग में घी डालने का काम किया और अंततः छत्तीसगढ़ में आईएमए के इतिहास में पहली बार रायपुर आईएमए को पदाधिकारियों के लिए चुनाव करवाने पड़ गए। इन चुनावों में भाजपा समर्थित डाक्टरों ने कांग्रेस समर्थित डाक्टरों को संगठन की सत्ता से बाहर कर दिया। अब उम्मीद की जा रही है कि आईएमए के नए निर्वाचित पदाधिकारी सरकार से मिलकर भवन निर्माण के लिए अनुदान मांगेंगे और उम्मीद की जा रही है कि दो-तीन महीने में इस आवंटित प्लाट पर आईएमए के भवन निर्माण का काम शुरू हो जाएगा।
आईएमए को आवंटित प्लाट पर भवन के लिए पिछली सरकार से अनुदान क्यों नहीं मिला, इस पर चर्चाएं तो हैं लेकिन आरोप-प्रत्यारोप नहीं है। कुछ सीनियर डाक्टरों का कहना है कि इस मुद्दे पर नाराजगी थी, लेकिन इसके लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि भवन के लिए अनुदान मिलना पूरे संगठन की जिम्मेदारी थी, एक-दो पदाधिकारियों की नहीं। दरअसल नवनिर्वाचित पदाधिकारी ही नहीं, बल्कि उनके पैनल के संरक्षक पिछली कार्यकारिणी या कार्यकाल पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछली कार्यकारिणी ने भी मेहनत की थी, नई कार्यकारिणी भी करेगी।
जहां तक चुनाव का सवाल है, राजधानी के डाक्टरों में पहली बार हुई पार्टी पालिटिक्स के रणनीतिकारों का मानना है कि डाक्टरों का पेशा दलगत जैसी किसी भी बात से ऊपर है। चुनाव हुए और डाक्टरों का भाजपा समर्थित पैनल जीत गया, इसका आशय यह बिलकुल नहीं है कि अब संगठन किसी विचारधारा से चलेगा। डाक्टर अपने पेशे और जिम्मेदारियों को उसी तरह अंजाम देते रहेंगे, तथा पार्टी पालिटिक्स जैसी बातें चुनाव के बाद समाप्त हो गई हैं। बहरहाल, आईएमए के नवनिर्वाचित पदाधिकारी अगले कम से कम 20 दिन तक शपथग्रहण समारोह आयोजित करने के पक्ष में नहीं हैं। जानकारों के मुताबिक नवनिर्वाचित पदाधिकारी मकर संक्रांति के बाद ही अपना काम संभालेंगे। बता दें कि आईएमए रायपुर के रविवार को हुए चुनाव में डा. कुलदीप सोलंकी को अध्यक्ष, डा. संदीप श्रीवास्तव को सचिव तथा डा. केतन शाह और डा. किशोर झा को उपाध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया है। इनमें किशोर झा को छोड़कर सभी उस पैनल से हैं, जिन्हें दशकों पहले एबीवीपी से जुड़े कुछ सीनियर डाक्टरों का संरक्षण प्राप्त था।