भूपेश राजनांदगांव में ही 384 उम्मीदवार नहीं उतरवा सके, मैदान में 23 ही
राहुल-भूपेश समेत शीर्ष नेताओं की अपील कार्यकर्ताओं ने ही ठुकराई
(पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने पाटन की सभा में यह अपील की थी तो मौजूद कांग्रेसियों ने हाथ उठाकर समर्थन किया था)
कद्दावर कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने राहुल गांधी समेत कांग्रेस के शीर्षस्थ नेताओं के साथ अपील की थी कि कांग्रेस को हर लोकसभा क्षेत्र में 384 से ज्यादा उम्मीदवार उतारने चाहिए, ताकि चुनाव बैलेट पेपर से हों। लेकिन भूपेश खुद जिस सीट राजनांदगांव से चुनाव लड़ रहे हैं, वहां से ही इतने उम्मीदवार नहीं उतरवाए जा सके। यही नहीं, राजनांदगांव सीट पर उम्मीदवारों की संख्या बमुश्किल दहाई का आंकड़ा ही पार कर पाई है। राजनांदगांव में गुरुवार को दोपहर 3 बजे नामांकन खत्म होने के बाद केवल 23 उम्मीदवार मैदान में हैं।
वरिष्ठ कांग्रेसियों ने बुधवार को देर रात तक दावा किया था कि लगभग दो सौ नामांकन पत्र खरीद लिए गए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि नामांकन पत्र भी केवल 32 ही खरीदे गए थे, जो दाखिल हुए हैं। राजनांदगांव सीट पर तैनात कांग्रेस के एक सिपाहसालार से द स्तंभ ने इस बारे में बात की, तो उन्होंने तल्खी से कहा – चुनाव लड़ें या उम्मीदवार उतारने में लगे रहें… नेताओं ने अपनी ओर से अपील कर दी थी। उम्मीदवारों की संख्या को लेकर यही हाल महासमुंद और कांकेर में भी है। महासमुंद सीट पर नामांकन दाखिला खत्म होने के बाद 19 तथा कांकेर में तो केवल 10 उम्मीदवार ही हैं। इस तरह, बैलेट पेपर से चुनाव की कोशिश की अपील करने वाली कांग्रेस अब तक सिर्फ यही कर पाई ृकि राजनांदगांव और महासमुंद में मतदान के लिए दो-दो ईवीएम लगेंगी। कहा जा रहा है कि अब बची हुई सात सीटों पर भी पार्टी इतने उम्मीदवार नहीं उतार पाएगी।
छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में बस्तर, महासमुंद, राजनांदगांव और कांकेर में नामांकन दाखिला गुरुवार को दोपहर 3 बजे खत्म हो है। गौरतलब है, राहुल गांधी समेत कई शीर्ष कांग्रेस नेताओं ने अपील की थी कि इतने पर्चे दाखिल किए जाएं ताकि बैलेट पेपर से चुनाव के हालात पैदा हो जाएं। छत्तीसगढ़ की चार सीटों पर तो कांग्रेसियों ने शीर्ष नेताओं की इस अपील को एक तरह की खारिज ही कर दिया है। यह भी कहा गया था कि एक प्रयास कोरबा में हो सकता है। लेकिन राजनांदगांव से जिस तरह के हालात सामने आए हैं, उन्हें लेकर कांग्रेसी ही सशंकित हैं कि अब छत्तीसगढ़ में शायद ही कहीं यह कोशिश हो पाए। कुछ कांग्रेसियों का तो यहां तक कहना है कि 384 तो दूर, कांग्रेस किसी भी सीट पर सौ उम्मीदवार भी नहीं उतार सकेगी।
इसलिए ज्यादा उम्मीदवार उतारने में अब तक नाकाम रही कांग्रेस
- सामान्य उम्मीदवारों के लिए नामांकन शुल्क के रूप में 25 हजार, आरक्षित के लिए 12.5 हजार का खर्च।
- शीर्षस्थ नेताओं ने अपील की थी। कार्यकर्ताओं को लगता था कि इसका खर्च भी मिलेगा, जो संभव नहीं है।
- नामांकन पत्र दाखिल करने में कई तरह की एनओसी लगती है। इसलिए भी कई कार्यकर्ता पीछे हट गए।
- संगठन ने भी स्पष्ट नहीं किया कि चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले कार्यकर्ताओं की मदद कौन करेगा।
ज्यादा प्रत्याशी होते तो चुनाव करवाना हो जाता कठिन
कांग्रेस की ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार उतारने की अपील के बाद सरकारी अमला भी बेचैन था कि अगर किसी सीट पर 384 प्रत्याशी खड़े हो गए तो क्या होगा। इतने प्रत्याशी उतर जाते तो बैलेट छापना कठिन हो जाएगा। एक बैलेट में 20 प्रत्याशी भी एडजस्ट होते तो बैलेट बुक बनानी पड़ती, जो 20 पेज की होगी। इसे मतपेटी में डालना भी कठिन होगा और बड़ी पेटियां बनवानी पड़ेंगी। तीसरा और सबसे कठिन टास्क गिनती का था। चुनाव करवा चुके अफसरों के मुताबिक इतनी बैलेट बुक की गिनती में चार-पांच दिन लगते, क्योंकि ठप्पा देखने के लिए बैलेट बुक का हर पेज पलटना पड़ता।