बारनवापारा के अकेले टाइगर को कसडोल में बेहोशी के इंजेक्शन मारे… जानिए ऐसा क्यों करना पड़ा वन विभाग को
बारनवापारा अभयारण्य में पिछले करीब 5 महीने से घूम रहे अकेले टाइगर को वन विभाग ने 10 घंटे की तलाश और कोशिशों के बाद मंगलवार को दोपहर 12 बजे कसडोल के बिलकुल करीब जंगल में इंजेक्शन मारकर बेहोश (ट्रैंक्यूलाइज) कर दिया है। बेहोश टाइगर को होश में लाने तथा दवा देने के लिए रायपुर लाया जा रहा है। पूरी तरह जागने के बाद इसे किसी नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा। वन बल प्रमुख वी श्रीनिवास ने टाइगर को ट्रैंक्यूलाइज करने की पुष्टि की, लेकिन सुरक्षा कारणों से और कोई भी जानकारी देने में असमर्थता जताई है।
बेहद सुंदर और विशाल इस टाइगर पर वन विभाग तब से नजर रखे हुए था, जब यह पहली बार बारनवापारा अभयारण्य में लगे कैमरों में दिखा था। यह बारनवापारा का नहीं था, बल्कि कहीं और से आया था। अच्छा खाना-पीना मिलने की वजह से टाइगर यहीं रम गया था। चूंकि वह अकेला था, इसलिए वन विभाग फीमेल टाइगर (टाइग्रेस) लाने पर भी विचार कर रहा था। लेकिन पिछले एकाध महीने से यह टाइगर बारनवापारा के गांवों में पहुंचने लगा था। अभयारण्य में इसे कुछ गांवों के आसपास देखा गया, गांववालों ने भी इसकी पुष्टि की। यह बड़ा खतरा हो सकता था, गांवों में दहशत हो रही थी, बताते हैं कि इसलिए वन अफसर इस बात पर सहमत हुए कि बारनवापारा में इसके रहने से जनजीवन को खतरा पैदा हो सकता था। इसलिए इसे ट्रैंक्यूलाइज कर टाइगर रिजर्व में ही छोड़ने का फैसला किया। लोकेशन के आधार पर टाइगर की रात 12 बजे से जंगल में तलाश शुरू कर दी गई। मंगलवार को दोपहर करीब 12 बजे यह कसडोल के बिलकुल करीब नजर आया। ट्रेंड वनकर्मियों ने इसे बेहोशी के इंजेक्शन मारने में कोई चूक नहीं की। बेहोश होने के बाद इसे पिंजरे में लादा गया और रायपुर के लिए रवाना कर दिया गया। स्वस्थ होने के बाद इसे छत्तीसगढ़ के ही किसी टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा। लेकिन वन अफसरों ने इस रिजर्व का नाम बताने से फिलहाल इंकार किया है।