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हमारे सूरजमुखी फूलों से भारत सरकार गदगद… बड़े साइज के KBSH-78 सूरजमुखी की खेती पहली बार… छत्तीसगढ़ में सनफ्लावर की खेती को सराहा

फूलों के मामले में आमतौर से छत्तीसगढ़ के लिए तारीफ वाली खबरें कम आती हैं। लेकिन प्रदेश में जिस तरह से सूरजमुखी की खेती हो रही है, उस पर भारत सरकार की न केवल नजर पड़ी है, बल्कि इसकी सराहना भी होने लगी है। कृषि मंत्रालय ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कह दिया है कि छत्तीसगढ़ में सनफ्लावर की पैदावार नए स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत है। तारीफ इसलिए हुई कि छत्तीसगढ़ के किसान पारंपरिक खेती की जगह सूरजमुखी तो लगा ही रहे हैं, कोंडागांव में सनफ्लावर को लेकर बड़ा और कामयाब प्रयोग भी हुआ है। यहां के किसान ने बड़े साइज के सूरजमुखी की किस्म KBSH-78 की पहली बार खेती की है और उसमें कामयाबी हासिल हुई है।

छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के घुइचुनवा गांव के रामायण मान्यवर जैसे किसान सूरजमुखी जैसी वैकल्पिक फसलों को पूरी तरह अपना चुके हैं। पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने और साय सरकार की कोशिशों से छत्तीसगढ़ के किसान पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर सूरजमुखी जैसी फसलों से अपनी आय बढ़ा रहे हैं। इससे पानी पर निर्भरता भी कम हो रही है। सूरजमुखी की खेती करके, जो रबी, खरीफ और गर्मियों के मौसम में फलती-फूलती है, किसान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के राष्ट्रीय लक्ष्यों में योगदान करते हुए अधिकतम लाभ कमा रहे हैं। कृषि में विविधता लाने और स्वदेशी तरीकों को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान से किसानों को टिकाऊ, उच्च उपज वाली खेती की ओर बढ़ने में मदद मिल रही है, जिससे भारत का कृषि क्षेत्र मजबूत और अधिक आत्मनिर्भर बन रहा है। पहली सफल खेती का जश्न मनाया जा रहा है। इसके खिले हुए फूल किसानों के लिए नए अवसरों और राज्य में कृषि के भविष्य का संकेत देते हैं।

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