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प्राचार्यों के प्रमोशन में आरक्षण रोस्टर का सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप पालन करने की पहल… आरक्षित वर्ग के संयुक्त फोरम ने रखी बात

छत्तीसगढ़ का अनुसूचित जाति-जनजाति कर्मचारी-अधिकारी आरक्षण संयुक्त फोरम अब प्राचार्यों के प्रमोशन में आरक्षण रोस्टर का पालन करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए विभाग प्रमुखों से मिलकर अपनी बात रख रहा है। पिछले कुछ दिनों में फोरम के प्रतिनिधिमंडल ने सचिव लोकसेवा आयोग, सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, सचिव स्कूल शिक्षा विभाग तथा लोक शिक्षा संचालक को आदेश की प्रति तथा अन्य लीगल स्थितियों से अवगत करवाया और लीगल अभ्यावेदन पेश किए। फोरम ने विभाग प्रमुखों के समक्ष संवैधानिक अधिकारों को लागू करने पर भी बात रखी है।

छत्तीसगढ़ आरक्षण सहित प्रमोशन फोरम के प्रतिनिधिमंडल ने स्कूल शिक्षा सचिव आईएएस सिद्धार्थ कोमलसिंह परदेशी से मुलाकात की और उनके समक्ष संवैधानिक प्रावधानों को प्रमुखता से रखा। फोरम ने आरक्षण रोस्टर पर सुप्रीम कोर्ट के 24 फरवरी के अंतरिम आदेश का उल्लेख करते हुए अपना पक्ष रखा। फोरम ने कहा कि विभाग अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के प्रतिनिधित्व की जांच प्राचार्य पद के लिए कर ले। फोरम ने कहा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व होने के बावजूद पदोन्नति में आरक्षण नीति नहीं देना अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग से अन्याय है। यह संवैधानिक अधिकारों का हनन भी है। फोरम के तर्क जानने के बाद शिक्षा सचिव ने आश्वस्त किया कि वे इस बारे में लोक सेवा आयोग से बात करेंगे। इसके बाद फोरम के प्रतिनिधिमंडल ने लोक सेवा आयोग एवं लोक शिक्षण संचालनालय में भी अधिकारियों से मुलाकात की तथा सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश तथा प्राचार्य प्रमोशन में आरक्षण रोस्टर को लेकर लीगल स्थिति से उन्हें अवगत करवाया। इस दौरान सोशल जस्टिस लीगल फाउंडेशन, छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजातीय शासकीय सेवक विकास संघ, अजाक्स संघ, क्रांतिकारी शिक्षक संघ के पदाधिकारी, राज्यभर के व्याख्याता, हेड मास्टर, शिक्षक एवं कर्मचारी-अधिकारी उपस्थित थे।

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