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ईडी-सीबीआई जैसी एजेंसियां अमित शाह के ही अंडर में…छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली में कार्रवाइयों से राहत के आसार नहीं

गठबंधन सरकार के शपथ लेने के बाद दो सबसे अहम सवाल पूछे जा रहे हैं। पहला- चंद्रबाबू और नीतिश का मन कब तक बदलेगा। दूसरा- ईडी, सीबीआई, एनआईए और आईटी जैसी एजेंसियां अमित शाह के निर्देशन में काम करती रहेंगी या दूसरे मंत्रियों के अधीन हो जाएंगी। पहले सवाल का उत्तर कुछ महीने या साल में आएगा, लेकिन दूसरे प्रश्न का जवाब आ गया है। कांग्रेस समेत समूचा इंडिया गठबंधन जिन चारों एजेंसियों को केंद्र सरकार का तोता बताता रहा, कार्रवाई पर सवाल उठाता रहा है, चारों ही एजेंसियां अब भी अमित शाह के निर्देशन में ही रहनेवाली हैं। इनमें से सीबीआई और एनआईए डायरेक्ट गृहमंत्री के अधीन हैं, जबकि ईडी-आईटी फाइनेंस के। लेकिन अमित शाह के पास गृह के साथ एक और महत्वपूर्ण विभाग Ministry of cooperation भी है, यानी सहयोगी मंत्रालय। इस लिहाज से जानकारों का दावा है कि छत्तीसगढ़ समेत राज्यों में ईडी समेत इन एजेंसियों के जितने केस चल रहे हैं, जितनी कार्रवाईयां हो रही हैं, पीड़ितों को उनसे अभी तो राहत नहीं मिलने वाली है।

छत्तीसगढ़ में ईडी ने पिछले दो साल से तहलका मचा रखा है। कोल स्कैम, महादेव एप और आबकारी स्कैम में निर्णायक कार्रवाइयां हो रही हैं। राइस मिल स्कैम में एक्शन अब शुरू हुआ है। कोल स्कैम में दो आईएएस, एक पूर्व उपसचिव तथा माइनिंग अफसरों समेत कई प्रभावशाली लोग सलाखों के पीछे हैं। आबकारी स्कैम में भी एक पूर्व आईएएस तथा एक विशेष सचिव स्तर के अफसरों के साथ कई अधिकारी तथा कारोबारी जेल में हैं। महादेव एप मामले में भी कारोबारियों समेत कुछ लोग जेल में पहुंचाए जा चुके हैं।  कस्टम मिलिंग स्कैम में एमडी लेवल का एक अफसर तथा राइस मिलर को ईडी जेल भेज चुकी है। ईडी यहीं नहीं थमी है। सारे मामलों में उसने छत्तीसगढ़ की एजेंसी ईओडब्लू-एसीबी में भी एफआईआर करवा रखी है। इस एजेंसी ने भी एक-एक की गिरफ्तारियां और उन्हें रिमांड पर लेना शुरू कर दिया है।

केजरीवाल-सोरेन जैसे दो सीएम अभी जेल में

ईडी ने सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में विपक्ष पर कड़ी कार्रवाई की है। दो राज्यों झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्री क्रमशः हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल जेल भेजे जा चुके हैं। दिल्ली के कई मंत्री जेल भेजे गए, जिनमें से कुछ जमानत पर छूट भी रहे हैं। ईडी तथा बाकी एजेंसियों ने कांग्रेस, आप, झामुमो, टीएमसी समेत देशभर में गैरभाजपा या यूं कहिए कि गैर एनडीए दलों में इन कार्रवाइयों से अफरातफरी के हालात हैं। इन्हीं हालात में विपक्ष ने चुनाव भी लड़ा है। ऐसी अटकलें थीं कि अगर एनडीए रिपीट नहीं होगा तो इन एजेंसियों को भाजपा के खिलाफ लगाया जाएगा। एनडीए रिपीट हो गया, तब अटकलें थीं कि गठबंधन वाले ईडी जैसी एजेंसियों को अपने अंडर में रखना चाहेंगे। सभी अटकलें गलत साबित हुई हैं। यह बात उच्चस्तर पर है कि भले ही ये एजेंसियां दो विभागों में बंटी हों, लेकिन कम से कम ईडी-आईटी का काम वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण तो नहीं देख रही थीं। यह भी लोग जानते हैं कि निर्देशन कहां से हो रहा था। इसलिए जानकारों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में तो फिलहाल कार्रवाई जैसी चल रही थी, वैसी ही चलती रहने वाली है।

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