प्रकाश स्तंभ

पीएससी प्री. में सवालों का गोलमाल इस बार भी, बढ़ा कटआफ

7 सवाल डिलीट, 9 के आंसर बदले… यह तो पहले से भी खराब

भारतीय जनता पार्टी को छत्तीसगढ़ की सत्ता दिलाने में जिन दो-तीन मुद्दों का महत्वपूर्ण योगदान रहा, उनमें पीएससी अहम था। उम्मीद की जा रही थी कि अब पीएससी में गड़बड़ी नहीं होगी। साय सरकार ने नि:संदेह पीएससी में कथित भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की कमर तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन प्रीलिम्स के नतीजों ने पीएससी के लाखों उम्मीदवारों को यह सोचने पर विवश किया है कि क्या वाकई बदलाव होगा, या चुनाव गए और सब वैसा ही। ऐसा सोचने की वजह भी है। दरअसल प्रीलिम्स के 100 प्रश्नों के पेपर में मॉडल आंसर जारी करने के बाद 7 प्रश्न डिलीट किए गए और 9 के आंसर बदले, यानी कुल 16 प्रश्न प्रभावित हो गए। इसके बाद नतीजे आए तो कटऑफ डिलीट प्रश्नों के एवज में दिए गए नंबरों की वजह से आसमान छूने लगा। सामान्य में यह 156 और ओबीसी में 141 पर जाकर टिका। नतीजा, बहुत से उम्मीदवार जिनका पर्चा अच्छा गया था, प्रीलिम्स निकाल ही नहीं सके।

भाजपा सरकार बनने के बाद हुई इस पहली परीक्षा के नतीजों ने प्रदेश के उन युवाओं की वह उम्मीद तोड़ी, जिन्होंने सोच रखा था कि सब कुछ पारदर्शी होगा तथा वे बेहतर कर पाएंगे। लेकिन प्रीलिम्स के नतीजों के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े सारे काउंसलर और टीचर खामोश हैं। दरअसल सबको उम्मीद थी कि नई व्यवस्था में पीएससी के पर्चे में इतनी गलतियां नहीं होंगी कि सौ में 16 प्रश्न ही प्रभावित हो जाएं। हालांकि पीएससी के चेयरमैन प्रदीप वर्मा कहते हैं कि उम्मीदवारों के दावे-आपत्तियों के आधार पर प्रश्नों को डिलीट करना गलत नहीं, बल्कि उनके हित में ही है। पूर्व में भी काफी संख्या में प्रश्न डिलीट किए जाते रहे हैं।

इन्वेस्टिगेशनः गलतियां होती हैं, पर इस बार रिकार्डतोड़

ऐसा नहीं है कि प्रीलिम्स में इससे पहले की परीक्षाओं में प्रश्न डिलीट नहीं हुए। द स्तंभ की इन्वेस्टिगेशन के मुताबिक 2019 में 4 प्रश्न, 2020 में 8 प्रश्न, 2021 में 9 प्रश्न और 2022 में 12 प्रश्न डिलीट किए गए थे। तर्क यह दिया जा रहा है कि इस बार तो 7 ही डिलीट किए गए हैं। लेकिन इसके अलावा 9 प्रश्नों के उत्तर भी बदले गए हैं। इस साल 1.58 लाख उम्मीदवारों ने पीएससी प्री में हिस्सा लिया। इनमें से लगभग 3600 का चयन मेंस के लिए हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार इस बार का पर्चा 2021 और 2022 की तुलना में बहुत बेसिक था। यानी, पिछले दो वर्षों के पर्चे कठिन रहे। इसलिए वही उम्मीदवार प्री निकाल पाए, जिनकी तैयारी तगड़ी थी। बेसिक पर्चा होने के बाद लगभग सभी उम्मीदवारों को अच्छे नतीजों की उम्मीद थी। लेकिन मॉडल आंसर ने ही उनमें निराशा भर दी।  इस बदलाव ने सरकार की उन तमाम कोशिशों पर पानी फेरा है, जो पीएससी को बेहतर बनाने के लिए की गईं थीं। जो उम्मीदवार एक या ज्यादा साल से तैयारी कर रहे हैं, उनका मानना है कि बदलाव का अगर सिर्फ हल्ला है, तो ये नतीजे बता रहे हैं कि जैसा चल रहा है, अब भी सब वैसा ही चलता रहेगा। तैयारी करनेवालों का अनादर जारी रहेगा।

प्री के प्रश्न गलत सेट किए तो मेंस की कॉपी कैसे जांचेंगे?

जिनका प्री में सलेक्शन हुआ, वे जून में मेंस की परीक्षा में बैठेंगे। स्तंभ ने ऐसे दर्जनों उम्मीदवारों से बात की, विशेषज्ञों की राय ली। उनका एक ही सवाल है कि जब प्रीलिम्स में ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों में ऐसी गलतियां की गईं, तो ऐसे में जब मेंस के सब्जेक्टिव टाइप आंसर जांचे जाएंगे, तो क्या भरोसा है कि उसमें 100 फीसदी एक्यूरेसी रहे। यह सवाल बेचैन करने वाला है, क्योंकि मेंस के नंबरों के आधार पर ही 246 पदों के लिए तकरीबन सात सौ उम्मीदवारों को इंटरव्यू में बुलाया जाएगा। उम्मीदवारों का कहना है कि पीएससी में भ्रष्टाचार प्रमाणिक नहीं होता, इसलिए उसे खत्म करने की प्रक्रिया के साथ-साथ इन गलतियों को सुधारना बेहद जरूरी है, जो सौ प्रतिशत प्रमाणिक हैं। सरकार को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेना चाहिए, ताकि मेंस परीक्षा और उसकी कॉपियां जांचने पर बाद में सवाल न उठ जाएं।

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