प्रकाश स्तंभ

NEET की सीबीआई जांच शुरू होते ही काउंसिलिंग पोस्टपोन होने और री-नीट की अटकलें तेज

जिन 1563 बच्चों के ग्रेस मार्क रद्द कर दोबारा परीक्षा ली, उनमें से साढ़े सात सौ ही बैठे

देशभर के मेडिकल दाखिले में दाखिले के लिए होने वाली नीट परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 1563 बच्चों को दिए गए ग्रेस मार्क तो रद्द किए ही थे, इनके लिए दोबारा हुई परीक्षा में केवलव साढ़े 7 सौ बच्चे ही शामिल हुए। बाकी को ग्रेस मार्क काटने के बाद उनके ओरिजिनल नंबर्स से ही काउंसिलिंग में शामिल किया जाएगा। इधर, केंद्र सरकार के निर्देश पर सीबीआई ने तीन राज्यों में पेपर लीक समेत नीट से जुड़े सभी विवादित मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सीबीआई जांच और पर्चा लीक की वजह से अब दिल्ली में इस साल री-नीट और काउंसिलिंग पोस्टपोन होने की अटकलें भी लग रही हैं।

इस साल नीट परीक्षा 24 लाख बच्चों ने दी थी। रिजल्ट के तुरंत बाद पेपर लीक और धांधली को लेकर बवाल मचा और मामला सुप्रीम कोर्ट में गया, तब नीट कंडक्ट करनेवाले एनटीए ने कोर्ट में माना कि 1563 बच्चों को परीक्षा के लिए कम समय मिलने के कारण ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हीं ग्रेस मार्क्स को रद्द किया है और निर्देश के अनुसार इन बच्चों की दोबारा परीक्षा 23 जून को होगी। जो बच्चे परीक्षा देंगे, उन्हें इसके हिसाब से रैंक मिलेगा और जो बच्चे नहीं देंगे, पिछली परीक्षा में उनके कुल मार्क्स से ग्रेस नंबर काट दिए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार में पेपर लीक के आरोपी पुलिस गिरफ्त में आने लगे, तब मामला गंभीर हो गया। दरअसल नीट के इतिहास में पहली बार हुआ है कि कई राज्यों में बच्चों के बहुत अधिक नंबर आ गए हैं। इस साल रैंकिंग इतनी ज्यादा हाई है कि उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में मेडिकल कालेज में दाखिले का कटआफ 650 नंबरों के आसपास पहुंच रहा है। अर्थात, पिछले साल के मुकाबले कटआफ 50 नंबर तक अधिक है। जबकि पिछले कई वर्षों में नीट का कटआफ 10-15 नंबरों से अधिक नहीं बढ़ता है। बहरहाल, इन सभी मामलों में तकरीबन दो हफ्ते तक चली खींचतान के बाद अंततः केंद्र सरकार ने शनिवार को सीबीआई जांच की घोषणा कीऔर परीक्षा आयोजित करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के डीजी आईएएस सुबोध कुमार सिंह की सेवाएं वापस डीओपीटी को सौंप दी गईं। सीबीआई ने रविवार को एफआईआर दर्ज कर जांच भी शुरू कर दी है।

नीट में 717 से 719 नंबर मिल ही नहीं सकते, यही जड़

सुप्रीम कोर्ट में नीट के नंबरों को लेकर याचिका दाखिल करनेवाले अखिल पांडेय का कहना है कि नतीजे जारी होने के बाद नीट ने ग्रेस नंबर के बारे में न कुछ बताया, न ही यह बताया कि कितने बच्चों को कितने-कितने ग्रेस नंबर दिए गए हैं। नतीजों के बाद विशेषज्ञ यह देखकर चकित हो गए कि नीट में कई बच्चों को 717, 718 और 719 नंबर तक मिले हैं, जबकि यह संभव ही नहीं है। वजह ये है कि नीट में प्लस फोर और माइनस वन वाली माइनस मार्किंग चलती है। यानी एक प्रश्न के लिए 4 नंबर दिए जाते हैं और एक गलत जवाब पर 5 नंबर कम हो जाते हैं। अगर किसी बच्चे ने पूरे सवाल सही बनाए, तो उसे 720 नंबर मिलेंगे। अगर उसने एक प्रश्न छोड़ा तो उसे अधिकतम 716 नंबर मिल जाएंगे और अगर एक सवाल गलत कर दिया तो अधिकतम 715 नंबर मिलेंगे। ऐसे में 717 से 719 नंबर तक कैसे दिए गए, जब इस पर बवाल मचा, तब नीट ने सफाई दी कि अलग-अलग अदालतों के निर्देश पर ग्रेस नंबर दिए गए हैं, इसलिए रिजल्ट में ऐसे नंबर दिखाए दे रहे हैं, जो पहले किसी बच्चे को नहीं मिले। इसी ग्रेस मार्क्स को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया था।

काउंसिलिंग मौजूदा रैंकिंग पर तय समय पर ही

इस बीच, एनटीए ने साफ किया कि जो रैंकिंग जारी हुई है, काउंसिलिंग उसी आधार पर की जाएगी। इसके कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। जो बच्चे दोबारा एक्जाम में अपीयर होंगे, उन्हें जो नंबर मिलेंगे, उस आधार पर नई रैंकिंग जारी हो जाएगी और वे भी काउंसिलिंग में इसी रैंक से शामिल होंगे। लेकिन मुद्दा यहीं खत्म नहीं हो रहा है। बच्चों की तरफ से एक गंभीर मामला यह भी उठा हुआ है कि एक ही सेंटर से 6 बच्चों को देश में टाप रैंकिंग में जगह कैसे मिल गई है, जबकि यह संभव नहीं है।

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