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प्रदेश के अधिकांश बड़े लोग 1 मई को बोरे-बासी का वीडियो शेयर करते थे… आज किसी ने नहीं भेजा, अलावा कुछ कांग्रेसियों के

छत्तीसगढ़ के गांवों में बोरे-बासी भोजन ही नहीं बल्कि परंपरा का हिस्सा है। पिछली कांग्रेस सरकार ने बोरे-बासी को एंडोर्स किया था। 1 मई को मजदूर दिवस के साथ-साथ बोरे-बासी दिवस मनाना शुरू कर दिया। जैसे ही पिछली सरकार ने बोरे-बासी में रुचि दिखाई, छत्तीसगढ़ के तकरीबन हर बड़े लोगों को बोरे-बासी अचानक बेहद पौष्टिक लगने लगा। एक मई को मजदूरों के सम्मान के जितने वीडियो नहीं आते थे, बड़े लोगों और टाप ब्यूरोक्रेट्स के सपरिवार चम्मच से बोरे-बासी खाते हुए वीडियो का सोशल मीडिया और रेगुलर मीडिया में ढेर लग जाता था। इनमें से 20-30 बेहद प्रभावशाली लोगों की बोरे-बासी खाती हुई तस्वीरें अखबार छापते थे। बोरे-बासी की निकल पड़ी थी। फिर, डेढ़ साल पहले कांग्रेस सरकार चली गई। इसके बाद पिछले साल पहला बोरे-बासी दिवस आया। उस दिन भी बोरे-बासी खाते हुए कुछ वीडियो-फोटो इंस्टा और एफबी में शेयर किए गए। लेकिन इस बार तो जैसे बोरे-बासी की महत्ता ही खत्म हो गई। कुछ कांग्रेसियों ने जरूर बोरे-बासी के साथ फोटो शेयर किए। ऐसी उम्मीद भी थी कि आज वे जरूर इसे खाएंगे। लेकिन अधिकांश कांग्रेसियों ने भी बोरे-बासी से किनारा कर लिया। चूंकि छत्तीसगढ़ में परंपरा है, इसलिए बोरे-बासी हर दूसरे घर में अक्सर खाया जाता है, गर्मी की वजह से आज भी खाया गया होगा, लेकिन किसी ने फोटो-वीडियो शेयर नहीं किया।

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