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पहली बार कई बाहरी माओवादी कमांडर ढेर… जो बचे उनको छत्तीसगढ़ी नक्सलियों पर शक… आपस में ही मार-काट
बस्तर आईजी पी. सुंदरराज का दावा, लोकल माओवादियों से सरेंडर की अपील

छत्तीसगढ़ में पिछले छह महीनों में ताबड़तोड़ मुठभेड़ों में डेढ़ से सौ ज्यादा माओवादी मारे गए हैं और राज्य के लिए महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार मारे गए माओवादियों में आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र तथा ओड़िशा समेत अन्य राज्यों के कमांडर हैं, जो छत्तीसगढ़ के स्थानीय माओवादियों को ड्राइव करते रहे हैं। पुलिस ने मुठभेड़ों में दंडकारण्य जोनल कमेटी के बड़े कमांडर तेलंगाना निवासी जोगन्ना, इसी कमेटी के तेलंगाना निवासी एक और बड़े कमांडर रंधीर, सीआरसी कमाण्डर सागर, डीवीसीएम कमांडर विनय उर्फ रवि, महाराष्ट्र निवासी कमांडर संगीता उर्फ सन्नी तथा ओड़िशा निवासी कमांडर लक्ष्मी को मार गिराया है। हर मुठभेड़ में बाहरी माओवादी बड़ी संख्या में मारे गए हैं। बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने दावा किया कि बाहरी कमांडर छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को लड़ाई में आगे रखते रहे हैं और खुद मुठभेड़ों के दौरान भाग जाते हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब छत्तीसगढ़ के युवाओं को नक्सली बनाकर उन पर शासन कर रहे बाहरी कमांडरों को मारा गया है। इससे माओवादी संगठन में न सिर्फ खलबली मच गई है, बल्कि बाहरी कमांडर स्थानीय माओवादियों पर संदेह भी करने लगे हैं। यही वजह है कि 6 सितम्बर को कांकेर में राजनांदगांव-कांकेर डिवीजन के छत्तीसगढ़ के कमांडर विज्जा मड़कम को तेलंगाना के कमांडर विजय रेड्डी के इशारे पर गद्दारी का आरोप लगाकर मार डाला गया। माओवादियों में यह कलह समूचे बस्तर में देखने को मिल रही है। आईजी सुंदरराज ने छत्तीसगढ़ के माओवादियों से अपील की है कि इन हालात में उनके पास सरेंडर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
बस्तर में पिछले कुछ माह में माओवादियों की दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी को सभी जगह मुठभेड़ों की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। कई कमांडर मारे जा चुके हैं, जिससे माओवादी दिशाविहीन एवं नेतृत्वहीनता की स्थिति में हैं। इस वजह से उनमें लोकल और बाहरी का विवाद भी पनपता दिखाई दे रहा है। आईजी ने दावा किया कि बाहरी प्रांत के शीर्ष माओवादी कमांडर पिछले 30-40 वर्षा से छत्तीसगढ़ के माओवादियों को सिर्फ एक मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे हैं। यहां के लड़ाकों को मुठभेड़ में आगे धकेल देते हैं, जबकि करोड़ों-अरबो रुपयों की वसूली पर खुद नियंत्रण रखते हैं। इसीलिए आने वाले कुछ दिन में स्थानीय और बाहरी माओवादियों के बीच फूट पड़ने के पूरे आसार हैं।
अब आत्मसमर्पण के अलावा कोई विकल्प नहीं
आईजी सुंदरराज ने अपील की है कि अब छत्तीसगढ़ माओवादियों कैडर्स के पास आत्मसमर्पण करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है। बस्तर क्षेत्र के शांति, सुरक्षा एवं विकास के लिये यह उचित होगा की प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन कुछ शीर्ष कैडर तथा उनके गिने-चुने समर्थकों के चंगुल से निकलें। माओवादियों से जुड़े स्थानीय युवा सरेंडर कर मुख्यधारा में शामिल हों तथा सुरक्षित एवं विकसित बस्तर में हिस्सेदारी निभाएं।