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एक्जिट पोल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए जो एकमात्र संभावना बता रहे हैं, वह कांकेर या राजनांदगांव

भाजपा पूरी 11 पर कायमः कांग्रेस को बस्तर, जांजगीर, सरगुजा, कोरबा से भी उम्मीद

छत्तीसगढ़ एक्जिट पोल के नतीजों को ऐसे समझें

 

कांग्रेस ने एक्जिट पोल को खारिज कर दिया है और इसे पक्षपाती बताते हुए 4 जून का इंतजार करने की अपील की है। उधर, ज्यादातर एजेंसियों ने एक्जिट पोल में छत्तीसगढ़ को एक सीट दी है, कुछ ने तो एक भी नहीं दी। जो एक सीट बता रहे हैं, उसे लेकर अहम सवाल यही है कि आखिर यह सीट कौन सी हो सकती है। द स्तंभ ने इस मामले में दिल्ली में उन पत्रकारों से बात की, जो एक्जिट पोल और इस तरह के केलकुलेशन से जुड़े हुए हैं। उनमें से ज्यादातर का इशारा कांकेर लोकसभा सीट, तथा कुछ का राजनांदगांव लोकसभा सीट की तरफ है। इस इशारे के पीछे एक्जिट सर्वे और कुछ स्थानीय कारण बताए जा रहे हैं। जैसे, कांकेर को लेकर माना जा रहा है कि पिछले चुनाव में सिर्फ साढ़े 4 हजार वोटों से हारे कांग्रेस प्रत्याशी के प्रति सब तरफ सिंपैथी तथा भाजपा में ही भाजपा प्रत्याशी का अंदरूनी विरोध इसकी वजह हो सकती है। राजनांदगांव को लेकर दो फैक्टर बताए जा रहे हैं। पहला, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का कांग्रेस से प्रत्याशी होना और दूसरा, तीन सुरक्षित सीटों और आदिवासी बहुत इलाकों में हुए मतदान को कांग्रेस समर्थिक माना जाना। वैसे, भारतीय जनता पार्टी का साफ दावा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीतने जा रही है।

छत्तीसगढ़ में पिछले चुनाव में कांग्रेस ने कोरबा और बस्तर लोकसभा सीटें जीती थीं, यानी समीकरण था 9-2। कोरबा की सांसद ज्योत्सना महंत को कांग्रेस ने इस बार भी टिकट दिया है। बस्तर के सांसद दीपक बैज थे, जिन्हें इस बार हटाकर विधायक कवासी लखमा को उतारा गया है। डा. महंत के अलावा कांग्रेस से बिरेश ठाकुर रिपीट किए गए हैं, जो पिछले चुनाव में बहुत कम अंतर से हारे थे। पिछले विधानसभा में छत्तीसगढ़ ने 35 सीटें जीती हैं। इस लिहाज से कई लोकसभा क्षेत्रों में अधिकांश विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास हैं। जैसे, राजनांदगांव जहां से भूपेश बघेल ने चुनाव लड़ा, वहां 8 में 5 सीटों पर कांग्रेस विधायक हैं। कुछ एक्जिट पोल एजेंसियां इस सीट पर संभावना जता रही हैं। कांकेर लोकसभा क्षेत्र को अधिकांश एजेंसियों से जुड़े लोग कांग्रेस के लिए प्लस मान रहे हैं। यहां कांग्रेस विधायकों की संख्या ज्यादा है ही, प्रत्याशी और सिंपैथी जैसे लोकल फैक्टर भी हैं।

कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में जितनी सीटों पर उम्मीद लगा रखी है, उनमें कुछ वेरिएशन है। लेकिन ज्यादातर कांग्रेस नेताओं का दावा है कि कांकेर, राजनांदगांव, बस्तर, जांजगीर, सरगुजा और कोरबा में नतीजे पार्टी के पक्ष में आएंगे। कुछ नेता साहू प्रत्याशियों की वजह से महासमुंद और दुर्ग पर भी दावे कर रहे हैं। कुछ बिलासपुर को भी अच्छा बता रहे हैं। इस तरह, कांग्रेस के अलग-अलग नेताओं को जोड़कर देखा जाए तो उनकी गिनती तकरीबन 9 के आसपास जा रही है। कांग्रेस पार्टी के अधिकांश नेता केवल रायपुर और रायगढ़ पर ही खामोश हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है, वहां सीएम विष्णुदेव साय से लेकर पूरी पार्टी सभी 11 सीटों पर एक राय है। किसी भी सीट पर कमजोरी गिनाई जाए, तो पार्टी के नेता वहां के ताकतवर पहलू भी तुरंत बता रहे हैं और मानने के लिए तैयार नहीं कि उस सीट पर विपरीत परिणाम आ सकते हैं।

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