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रायपुर में गाइडलाइन रेट स्थिर, रीयल एस्टेट में ब्लैकमनी वालों को ऐसे लगेगा झटका

हजार रु रेट वाला 1000 वर्गफीट प्लाट लेंगे तो 20 हजार तक ज्यादा खर्च

राजधानी रायपुर में गाइडलाइन रेट नहीं बढ़ेगा। यानी शहर के हर इलाके में कलेक्टर गाइडलाइन रेट उतना ही रहेगा, जितना इस साल था। लेकिन 1 अप्रैल से एक बड़ा फर्क आएगा। गाइडलाइन रेट में 30 फीसदी छूट खत्म हो गई, इसलिए रजिस्ट्री का खर्च बढ़ जाएगा। दूसरी बड़ी खबर यह है कि छूट की वजह से रियल एस्टेट में ब्लैकमनी का फ्लो कम हो जाएगा, क्योंकि छूट खत्म होने से अब पंजीयन शुल्क के तौर पर 1 नंबर यानी बैंक के जरिए ज्यादा पैसे पटाने होंगे।

हजार वर्गफीट प्लाट की रजिस्ट्री 20 हजार रुपए तक महंगी

अगर रायपुर में किसी जगह आप 1000 फीट प्लाट खरीदते हैं और वहां गाइडलाइन रेट 1000 रुपए वर्गफीट है, तो रजिस्ट्री रेट कितना बढ़ेगा, इसे ऐसे समझिए। अभी तक गाइडलाइन रेट पर 30 फीसदी छूट चली, यानी पंजीयन शुल्क के तौर पर 700 रुपए वर्गफीट के भाव से 5.5 प्रतिशत (पुरुषों के लिए, महिलाओं के लिए दर 5 प्रतिशत) राशि का स्टांप लेना पड़ रहा था। यह रकम 38500 रुपए होती है। लेकिन छूट खत्म होने से 1 अप्रैल से इसी प्लाट के लिए 55 हजार रुपए पंजीयन शुल्क देना होगा। यानी इस प्लाट के लिए रविवार को रजिस्ट्री में जितना शुल्क लगता, कल यानी सोमवार को उससे 16.5 हजार रुपए ज्यादा लगेंगे। यह केवल उदाहरण है, प्लाट का साइज और गाइडलाइन रेट के हिसाब से पंजीयन शुल्क निकाल सकते हैं। लेकिन इस परिस्थितियों में एक हजार वर्गफीट प्लाट के लिए 1 अप्रैल से 16 से 25 हजार रुपए तक ज्यादा देने होंगे।

लेकिन… ब्लैकमनी वालों को लगेगा तगड़ा झटका

गाइडलाइन रेट में 30 फीसदी छूट का मतलब ही यही था कि व्हाइट मनी यानी रजिस्ट्री के लिए बैंक से दी जाने वाली रकम 30 प्रतिशत कम लग रही थी। छूट खत्म होने से पंजीयन शुल्क बढ़ जाएगा और रजिस्ट्री की यह पूरी रकम ही चेक, ड्राफ्ट या अरटीजीएस से देनी होगी। गणित यह है कि कोई प्लाट जिसमें रजिस्ट्री रेट कम हो, वहां खरीदने वाले को बैंक से जाने वाले पैसे कम लगेंगे। इस वजह से खरीदार विक्रेता पार्टी को ऊपर से देने वाले ज्यादा पैसे आफर कर सकता है। जाहिर है, यह रकम अगर बैंक से नहीं दी जा रही है, तो इसमें ब्लैकमनी आसानी से खप सकती है। छूट से यह फ्लो कम हो जाएगा।

रजिस्ट्री की संख्या कुछ कम होने की आशंका

प्रापर्टी के जानकारों का मानना है कि गाइडलाइन रेट जितना बढ़ेगा, किसी प्रापर्टी के लिए अगर ज्यादा से ज्यादा रकम बैंक से यानी व्हाइट मनी के तौर पर देनी होगी, तो इतनी व्हाइट मनी आम लोगों के पास भी कम रहती है। ऐसे में रजिस्ट्री कम होने लगेगी, या लोग छोटे प्लाट पर ज्यादा फोकस होते जाएंगे। इससे सरकार के पंजीयन शुल्क में कमी अ सकती है।

चहेतों के लिए दी गई थी छूट, ब्लैकमनी को रोकने के लिए इसे खत्म किया 

आवास-पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी लैंड रेवेन्यू मामलों के बड़े जानकार हैं। उन्होंने छूट खत्म करते हुए राजनैतिक तौर पर पिछली सरकार को अड़े हाथों ले लिया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि दरअसल उनकी और साय सरकार की मंशा यही है कि रियल एस्टेट में ब्लैकमनी के फ्लो को रोका जाए, ताकि फर्जीवाड़े कम से कम हो सकें। छूट घटाने के कारण आम लोगों पर रजिस्ट्री का बोझ थोड़ा बढ़ जाएगा, इसलिए रायपुर में गाइडलाइन रेट नहीं बढ़ाया गया है।

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