हमारे लीथियम से देश में बैटरियों को ताकत…केंद्र से खदान आवंटन की चिट्ठी रायपुर पहुंची
कटघोरा की लीथियम खदान मैकी साउथ कंपनी को आवंटित करने के बाद केंद्र सरकार के खनन मंत्रालय ने राज्य के माइनिंग विभाग को इसकी सूचना भेज दी है। इस आशय का पत्र मंगलवार को मिला है। जिस कंपनी को कटघोरा लीथियम खदान आवंटित की गई है, वह राज्य का निर्धारित शुल्क और दस्तावेजी औपचारिकताएं पूरी करेगी। इसके बाद राज्य से ही कंपनी को कंपोजिट लाइसेंस जारी किया जाएगा। यह 3 साल का रहेगा, जिसे 2 साल और एक्सटेंड किया जा सकता है। इस दौरान कंपनी प्रास्पेक्टिंग करेगी, ताकि पता चले कि कटघोरा में लीथियम का कितना डिपाजिट (भंडार) है। यह भी पता लग जाएगा कि खदान में लीथियम की मात्रा व्यावसायिक उत्खनन को कितने योग्य है। कंपनी जितना भी लीथियम कटघोरा से निकालेगी, उसका 76 प्रतिशत प्रीमियम और राज्य के शुल्क उसे छत्तीसगढ़ को अदा करने होंगे। माइनिंग विषयों के जानकार अफसरों का कहना है कि सालभर में स्पष्ट हो जाएगा कि छत्तीसगढ़ से कंपनी कितना लीथियम निकाल सकती है।
रीचार्जेबल बैटरी का अहम तत्व लीथियम
इस वक्त ईवी गाड़ियां, मोबाइल, लैपटाप समेत रीचार्जेबल सभी उपकरणों में लीथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल हो रहा है। इन बैटरियों में लीथियम आयन के रूप में होता है और हर रीचार्जेबल बैटरी का यही अकेला महत्वपूर्ण हिस्सा है। रीचार्जेबल बैटरी के मामले में अभी दुनियाभर की निर्भरता चीन समेत कुछ देशों पर है। भारत में कटघोरा ही नहीं, कश्मीर और राजस्थान में भी लीथियम मिला है, लेकिन प्रास्पेक्टिंग के लिए खदान कटघोरा की ही आवंटित की गई है। छत्तीसगढ़ की कटघोरा खदान से जब लीथियम का व्यावसायिक उत्खनन शुरू होगा, तब देशभर की बैटरियों में इस्तेमाल होने से हमारी इकानामी भी ऊपर जाएगी और देश के नक्शे में छत्तीसगढ़ को नई पहचान मिलेगी। हालांकि खनिज, खासकर आयरन और कोल के मामले में पहचान पहले से ही है।