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कालेजों में छत्तीसगढ़ी पढ़ाने की तैयारी…युवाओं को कंपीटिशन में होगी आसानी

द स्तम्भ ने पीएससी समेत तमाम ऐसी प्रतियोगी परीक्षाएं जिनमें छत्तीसगढ़ी के प्रश्न दिए जा रहे हैं, इन प्रश्नों के कारण यहीं के युवा उम्मीदवारों को हो रही परेशानी का मुद्दा उठाया था। सरकार ने इस दिक्कत को दूर करने की दिशा में पहल शुरू की है। उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी से कहा है कि वे गेस्ट लेक्चरर (अतिथि व्याख्याता) के तौर पर छत्तीसगढ़ में एमए कर चुके युवाओं को नियुक्त करें, ताकि वे छत्तीसगढ़ी पढ़ा सकें।

1 अप्रैल को द स्तंभ ने इस आशय की खबर प्रकाशित की थी

अगले महीने प्रदेश में पीएससी मेन्स के एग्जाम होने वाले हैं। इसमें छत्तीसगढ़ी के 50 नंबर के प्रश्न आते हैं, वह भी सब्जेक्टिव टाइप। हाल में पीएससी प्रीलिम्स का रिजल्ट आया। इसमें 25-30 नंबर के आब्जेक्टिव टाइप प्रश्न छत्तीसगढ़ी के रहते हैं। चूंकि छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण नहीं हुआ है, इसलिए ये प्रश्न अब छत्तीसगढ़ के बच्चों को ही परेशान कर रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में स्थानीय लोगों के अच्छे नंबर आएं, इसलिए छत्तीसगढ़ी को शामिल किया गया था। लेकिन इसी भाषा में स्थानीय उम्मीदवार ही काफी संख्या में गलत जवाब देकर नंबर कम करवा लेते हैं। इसकी एक और वजह भी है। छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई अगर कहीं हो भी रही है, तो इसे हिंदी के ऐसे प्रोफसर-लेक्चरर ही पढ़ा रहे हैं, जिन्हें केवल छत्तीसगढ़ी आती है, डिग्री नहीं है। स्तम्भ ने यही मामला उठाया था कि छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण के अलावा इसे कम से कम कालेजों में पढ़ाने की व्यवस्था भी होती है। साथ ही, इसके पर्चे जांचने के लिए हिंदी प्रोफेसरों की जगह छत्तीसगढ़ी प्रोफेसरों को लगाना चाहिए, तो इसका प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवाओं को फायदा होगा।

सरकार ने संज्ञान में लिया, आयुक्त शारदा वर्मा ने निकाला आदेश

उच्च शिक्षा विभाग की आयुक्त शारदा वर्मा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि छात्र संगठनों ने शिकायत की थी कि अगर यूनिवर्सिटीज में छत्तीसगढ़ी पढ़ाई भी जा रही है, तो उसके लिए अतिथि व्याख्याता के रूप में हिंदी में पीजी करने वालों को नियुक्त किया जा रहा है। इसके बजाय पढ़ाने के लिए ऐसे युवाओं को गेस्ट लेक्चरर के रूप में नियुक्त किया जाए, जिन्होंने छत्तीसगढ़ी में ही एमए किया हो। आयुक्त ने आदेश में कहा कि इसके लिए आवश्यकतानुसार विश्वविद्यालय के भर्ती नियमों में यथास्थान संशोधन की कार्रवाई भी की जाए।

 

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