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बिग ब्रेकिंग… बस्तर के सुकमा में लीथियम का बड़ा भंडार, बैटरियों का किंग बन जाएगा छत्तीसगढ़

तोंगपाल में एटामिक मिनरल डिवीजन भी लीथियम रिपोर्ट कर चुका

बस्तर के सुकमा जिले में तोंगपाल इलाके में लीथियम का बड़ा भंडार मौजूद है। यहां के गोविंदपाल और चिंतलनार इलाके में टिन के साथ लेपिडोलाइट भी रिपोर्ट हुआ है। इसे लीथियम बेरिंग माइका कहा जाता है, अर्थात इसमें लीथियम मौजूद है। इसकी पुष्टि एटामिक मिनरल डिवीजन और यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम) ने 1980 में कर दी थी। एटामिक मिनरल डिवीजन ने टिन यानी केसिटेराइट की खदानों में लेपिडोलाइट की मौजूदगी रिपोर्ट की थी। तब लीथियम की उतनी डिमांड नहीं थी, इसलिए सिर्फ टिन पर काम चलता रहा। अब, जबकि बैटरियों की बेतहाशा डिमांड बढ़ी है, पूरी दुनिया लीथियम की तलाश सोने की तरह कर रही है। इसलिए छत्तीसगढ़ के भूविदों ने 40 साल पुरानी उस रिपोर्ट को बाहर निकाला है। माना जा रहा है कि कटघोरा के बाद तोंगपाल और आसपास लीथियम के बड़े भंडार हो सकते हैं। ऐसा हुआ तो बैटरियों के मामले में छत्तीसगढ़ जल्दी ही पूरे देश में बेताज बादशाह बन जाएगा।

एनालिसिस…लेपिडोलाइट है तो लीथियम भी मौजूद

स्तंभ ने इस मामले में छत्तीसगढ़ के कई जानकार जियोलाजिस्ट को मथा है। सबका कहना है कि तोंगपाल में टिन अयस्क के साथ पैग्मेटाइट जगह-जगह मिला है। पैग्मेटाइट कई कीमती धातुओं को धारण करता है, इसलिए इसे म्यूजियम आफ मिनरल्स भी कहते हैं। इसी पैग्मेटाइट में चिंतलनार और गोविंदपाल के बड़े इलाके में लेपिडोलाइट भी पाया गया है। यह लीथियम बियरिंग माइका है, यानी जहां लेपिडोलाइट है, वहां लीथियम रहेगा ही। विशेषज्ञों के मुताबिक सुकमा में लीथियम के भंडार के मामले में अब यही देखना बाकी है कि वहां के भंडार व्यावसायिक उत्खनन के हिसाब से कितने फायदेमंद हो सकते हैं।

कश्मीर और राजस्थान से आगे निकल गए

बैटरियों की बढ़ती मांग और चीन के एकाधिकार को ध्यान में रखते हुए भारत में वैज्ञानिकों ने कुछ अरसा पहले ही लीथियम की तलाश शुरू की। फरवरी में कश्मीर के सलाल-हैमला में पहला भंडार मिला। यहां की खदानों में 59 लाख टन लीथियम मिलने की उम्मीद है। इसके कुछ दिन बाद राजस्थान के नागौर में बड़े भंडार की पुष्टि हो चुकी है। लेकिन छत्तीसगढ़ में लीथियम की मौजूदगी के लगातार संकेत देशभर के वैज्ञानिकों को चौंका रहे हैं। कटघोरा में लीथियम भंडार की प्रास्पेक्टिंग लीज दी जा रही है। इस बात को कुछ दिन भी नहीं गुजरे कि बस्तर के सुकमा में लीथियम की मौजूदगी की पुरानी फाइलें खुल गई हैं।

बस्तर में इतना भंडार होगा कि सब पिछड़ जाएंगे

बस्तर की खनिजगर्भा धरती में जो भी मिनरल मिले हैं, उनका भंडार इतना विशाल है कि पूरे देश में दबदबा है। आयरन ओर बस्तर के अधिकांश हिस्से में भरा पड़ा है। टिन का भंडार भी इतना विशाल है कि किसी जमाने में वहीं के निवासी खोद-खोदकर बाजार में लाते थे। अब लीथियम की मौजूदगी मिली है, तो इसका भंडार भी सबसे विशाल होने की ही उम्मीद है।

दुनियाभर की बैटरियों में 80 प्रतिशत चीन की

लीथियम हमारे लिए महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि देश में बैटरी गाड़ियों की मांग और खपत, दोनों तेजी से बढ़ रही हैं। थोड़ी बैटरियां हम बनाते हैं, लेकिन यह दुनिया के बैटरी बाजार में गिनती में नहीं हैं। विश्व के इस मार्केट में अकेले चीन की हिस्सेदारी 80 फीसदी है। इसके बाद दूसरे नंबर पर पोलैंड है, जहां दुनिया की सिर्फ 10 प्रतिशत बैटरियां बनती हैं। बचे 10 प्रतिशत में पूरी दुनिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर हम लीथियम के मामले में आत्मनिर्भर हो गए, निर्यात करने की स्थिति में रहे तो वह दिन दूर नहीं, जब बैटरी मार्केट में चीन को टक्कर देने की स्थिति में आ जाएंगे।

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