भाजपा ने सांसद साहू का टिकट काटा, तो कांग्रेस ने साहू को ही उतार दिया
रूपकुमारी चौधरी भाजपा प्रत्याशी, सामने हैं कांग्रेस से पूर्व मंत्री ताम्रध्वज
राज-गणित — महासमुंद संसदीय क्षेत्र
विधानसभा चुनाव के नतीजे चार माह पहले आए, तब महासमुंद लोकसभा की 8 में से 4 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते थे और अधिकांश अच्छे मार्जिन से। कांग्रेस ने भी 4 सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन सरायपाली और खल्लारी को छोड़कर बाकी दो में जीत का मार्जिन हजार-दो हजार ही रहा। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सांसद चुन्नीलाल साहू का टिकट काटकर पूर्व विधायक रूपकुमारी चौधरी को उतारा है। उधर, कांग्रेस ने इस को पूर्वमंत्री ताम्रध्वज साहू के रूप में साहू समाज का प्रत्याशी तो दिया है, लेकिन वे दुर्ग से चुनाव लड़ने महासमुंद गए हैं। जहां तक बढ़त का सवाल है, हमारे और हर किसी के पास ताजा आंकड़े तो विधानसभाई नतीजों के ही हैं। इनके हिसाब से पूरे लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस करीब 9 हजार वोटों की बढ़त पर तो है, लेकिन यह काफी कम है। भाजपा प्रत्याशी मोदी लहर के भरोसे हैं। अगर लहर रहेगी तो यह अंतर कांग्रेस के लिए बहुत सुकून देने वाला नहीं है।
महासमुंद लोकसभा चुनाव का रिकार्ड देखें तो पिछले तीन चुनावों से यह सीट भाजपा के पास है। मौजूदा भाजपा सांसद चुन्नीलाल साहू ने पिछले चुनाव में कांग्रेस के धनेंद्र साहू को 90 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी। लेकिन भाजपा ने इस बार उनका टिकट काटकर रूपकुमारी चौधरी को प्रत्याशी बनाया। साहू समाज के चुन्नीलाल का टिकट कटा, तो कांग्रेस ने ताम्रध्वज साहू को उतार दिया। इसीलिए महासमुंद में तमाम राजनैतिक प्रेक्षकों की नजरें साहू समाज के वोटों पर हैं। महासमुंद सीट ने इतिहास में कई बदलाव देखे हैं। यह 1984 तक कांग्रेस की परंपरागत सीट थी, लेकिन उसके बाद से सीन बदला हुआ है। कांग्रेस पिछले 3 चुनाव से लोकसभा हार रही है, हालांकि 2014 के चुनाव में भाजपा के चंदूलाल साहू को पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस उम्मीदवार अजीत जोगी ने कड़ी टक्कर दी थी और सिर्फ 1217 वोटों से हारे थे।
चंदूलाल नाम के दर्जनभर निर्दलीय… शायद ही कोई भूला होगा
छत्तीसगढ़ के लोगों को 2014 का अजीत जोगी वाला महासमुंद चुनाव इसलिए भी याद होगा, क्योंकि कांग्रेस ने वहां भाजपा प्रत्याशी चंदूलाल साहू के नाम वाले दर्जनभर निर्दलीय मैदान में उतार दिए थे। इन निर्दलियों ने भी नाम के कारण लगभग 50 हजार वोट झटक लिए थे। एक बात और, पिछले चुनाव में इसी सीट से 21 हजार से ज्यादा ने नोटा को चुना था, जो आश्चर्यजनक था। हालांकि चंदूलाल साहू 2009 का चुनाव कांग्रेस के मोतीलाल साहू से 51 हजार वोटों से आसानी से जीत गए थे।
महासमुंद सीट की बात हो तो याद किए जाएंगे विद्या भैया
पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल देश की दूसरी लोकसभा में 1962 में महासमुंद सीट से चुनकर ही पहुंचे थे। तब वे देश के सबसे कम उम्र के सांसद थे। इसके बाद उन्होंने यहीं से 1964 उपचुनाव, 1967, 1980, 1084 और 1989 का चुनाव जीता। इसके बाद वे रायपुर से लड़ने लगे। इसके बाद उन्होंने भाजपा से 2004 में महासमुंद वापसी की, लेकिन चुनाव हार गए। फिर वे सांसद नहीं बन पाए, अंत में 2012 में झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में शहीद हो गए।
विधानसभा की 4-4 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस
सरायपाली – 41888 कांग्रेस
बसना – 36793 भाजपा
खल्लारी – 37118 कांग्रेस
महासमुंद – 16152 भाजपा
राजिम– 11911 भाजपा
बिंद्रानवागढ़ -816 कांग्रेस
कुरुद – 8090 भाजपा
धमतरी- 2606 कांग्रेस
विधानसभा चुनाव में बढ़त
भाजपा (चार सीटें) – 72946
कांग्रेस (चार सीटें) – 82428
विस चुनाव की कुल लीड – 9482 कांग्रेस