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The Stambh Insight : छत्तीसगढ़ में डीएसपी को 24 साल नौकरी के बाद IPS … डिप्टी कलेक्टर 14 साल में ही IAS… कैडर मैनेजमेंट पर सवाल, उम्मीद “विष्णु के सुशासन” से

केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में डीएसपी से नौकरी शुरू करनेवाले 9 अफसरों को कल आईपीएस का बैच अलाट कर दिया। अगर आदेश पर गौर करेंगे, तो उसमें साफ दर्ज है कि किस अफसर ने डीएसपी से एएसपी होते हुए कितने साल नौकरी की, तब उसे आईपीएस अवार्ड हुआ। इस आदेश में ही तीन लोगों को 24-24 साल की नौकरी के बाद आईपीएस मिला है और रिटायरमेंट में चार-पांच साल बचे हैं यानी मुश्किल से डीआईजी बन पाएंगे। कुछ को 23 और कुछ को 22 साल की नौकरी के बाद आईपीएस अवार्ड हुआ है। एक तरफ पुलिस में डीएसपी कैडर का ये हाल है, तो दूसरी ओर पीएससी से ही डिप्टी कलेक्टर सलेक्ट होकर काम शुरू करने वाले अफसरों को इनकी तुलना में बहुत जल्दी आईएएस अवार्ड हो रहा है। स्थिति ये है कि जो अफसर 14-15 साल डिप्टी कलेक्टर से अपर कलेक्टर तक सेवाएं दे रहे हैं, वे आईएएस के पात्र हो रहे हैं। आईएएस में कैडर मैनेजमेंट ऐसा है कि डिप्टी कलेक्टर से नौकरी शुरू करने वाले कई अफसर राज्य शासन में प्रिंसिपल सेक्रेटरी तक पहुंच ही जाएंगे। लेकिन अब डीएसपी से नौकरी शुरू करनेवालों की स्थिति यह है कि उनका डीआईजी बन पाना भी मुश्किल है, जबकि इसी राज्य में डीएसपी कैडर के कई पुराने अफसर एडीजी लेवल तक पहुंच चुके हैं और पुराने समय में प्रमोट हो चुके एक-दो कतार में भी हैं।

इस खबर के साथ आर्डर अटैच है, लेकिन आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से 14 फरवरी को राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस बनने वाले प्रदेश के 9 अफसरों को बैच अलाट हुआ है। इन अफसरों में उमेश चौधरी, मनोज कुमार खिलारी, रवि कुर्मार कुर्रे, चैनदार टंडन और सुरजन राम भगत डीएसपी से एएसपी तक 22 साल नौकरी करने के बाद आईपीएस बने। विडंबना देखिए कि दर्शन सिंह मरावी को 24 साल बाद, झाड़ूराम ठाकुर को 23 साल, प्रफुल्ल ठाकुर को 24 साल और विजय पांडे को 23 साल डीएसपी कैडर की नौकरी के बाद आईपीएस बनने का मौका मिल पाया है। ज्यादातर की उम्र 55 के आसपास पहुंच गई है और एकाध को छोड़कर बाकी चार-पांच साल में रिटायर हो जाएंगे।  कैडर मैनेजमेंट का यह गड्ढा नया या मौजूदा सरकार का नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद आईएएस के मुकाबले आईपीएस के कैडर मैनेजमेंट में शुरू से ही फेल्योर है, इसलिए स्थिति यहां तक पहुंच गई है। डीएसपी कैडर के अफसरों की स्थिति यह है कि ज्यादातर लोग हिसाब लगाकर बैठ गए हैं कि उन्हें आईपीएस मिल पाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि अगर 24 साल की नौकरी वाला क्रम जारी रहा, तो कइयों की उम्र 55 से पार हो जाएगी, यानी उनकी आईपीएस की पात्रता ही समाप्त हो जाएगी।

अफसरों को गुड गवर्नेंस से उम्मीद क्यों

सीएम विष्णुदेव साय के सचिवालय में पदस्थ आला अफसरों को भी राज्य सेवा के अफसरों को आईएएस और आईपीएस अवार्ड होने में इस विसंगति का पता है। यही वजह है कि साय सरकार ने एक माह पहले छत्तीसगढ़ के डीएसपी कैडर के दर्जनभर अफसरों को सिलेक्शन ग्रेड दिया, ताकि उन्हें आईपीएस बन पाने में भले देर लगे, लेकिन उनकी एसपी की पोस्टिंग तो होने लगे। सूत्रों का कहना है कि सीएम के दो सचिव आईपीएस पी. दयानंद और आईपीएस राहुल भगत कुछ समय से इस विसंगति को दूर करने की दिशा में काम कर रहे हैं। अच्छी बात ये है कि सीएम के ही प्रमुख सचिव के तौर पर काम कर रहे सीनियर आईएएस सुबोध कुमार सिंह ने भी पूर्ववर्ती सरकारों में कैडर मैनेजमेंट पर काम किया था, जिस वजह से रमन सरकार के दौरान कई अफसरों को सिलेक्शन ग्रेड मिला और उन्हें एसपी बनाया भी गया। यही वजह है कि डीएसपी संवर्ग को सीएम साय के सचिवालय से उम्मीदें ज्यादा हैं और उनका मानना है कि प्रमोशन के ड्यू पीरियड में अगर चार-पांच साल की भी कमी होती है तो राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को डिप्टी कलेक्टर संवर्ग की तरह जल्दी-जल्दी आईपीएस बनने का मौका मिल सकता है।

बैच अलाटमेंट में नौकरी की अवधि लाल घेरे में

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