प्रकाश स्तंभ

The Stambh Analysis : नया रायपुर में ट्रेन चलाना छोड़ दिमागी घोड़े दौड़ा रहा रेलवे… ट्रेन है नहीं पर इंजन-डिब्बे धोने के लिए 1500 करोड़ का प्रोजेक्ट… ट्रेन नहीं चलने की वजहें भी भयंकर टेक्निकल

नया रायपुर के केंद्री स्टेशन में रेलवे ने इंजन-डिब्बे वगैरह धोने के लिए वाशिंग स्टेशन का नया प्रोजेक्ट लांच किया है। इसके लिए 60 एकड़ जगह भी चुन ली गई है। रेलवे इस प्रोजेक्ट में डेढ़ हजार करोड़ रुपए खर्च करनेवाला है। इसके साथ नई रेल लाइनों के जरिए नया रायपुर से मुंबई, कोलकाता और वालटेयर तक सीधी ट्रेन के दावे भी किए गए हैं। नया रायपुर में पिछले एक दशक में रेलवे के दावे-वादे अनंत हैं, सच्चाई सिर्फ इतनी है कि रेलवे अब तक वहां एक छोटी सी ट्रेन भी नहीं चला सका है। नया रायपुर में जब भी रेलवे के किसी बड़े प्रोजेक्ट की बात होती है, यह मासूम सा सवाल कर दिया जाता है कि आखिर ट्रेन चलेगी कब। द स्तम्भ ने नया रायपुर में रेल प्रोजेक्ट की पुरानी फाइलों से धूल झाड़ी तो हैरान करने वाला यह तथ्य सामने आ गया कि रेलवे को तो यहां 2020 में से ही ट्रेन चला देनी चाहिए थी। हैरतअंगेज है कि रेलवे ने नया रायपुर में पटरियों के ट्रायल की बात तो की, लेकिन पड़ताल में यह खुलासा हुआ कि ट्रायल तो अभनपुर से राजिम के बीच हुआ था, मंदिरहसौद से केंद्री के बीच हुआ ही नहीं। रायपुर समेत पूरे प्रदेश के लोग नया रायपुर जा रहे हैं। आम आदमी को ट्रेन के लिए जो नजर आना चाहिए, नया रायपुर में वह सब कुछ है। सीबीडी स्टेशन चमक रहा है, पटरियां बिछ चुकी हैं, सिग्नल के खंभे नजर आते हैं, बिजली लाइन पूरी नहीं तो डीजल इंजन चल सकता है। सब हो सकता है, पर कोई ट्रेन अब तक रायपुर जंक्शन से निकलकर, मंदिरहसौद से टर्न लेकर नया रायपुर में 15-20 किमी दूर सीबीडी-केंद्री तक नहीं गई।

रमन सरकार से लेकर विष्णुदेव साय सरकार तक, नया रायपुर में रेलवे को जो सुविधाएं देनी चाहिए थीं, सरकारों ने तुरत-फुरत वह सब उपलब्ध करवा रखी हैं। साय सरकार रेलवे की हर जरूरत पर तुरंत रिस्पांडकर रही है। नया रायपुर का प्रोजेक्ट मोटे तौर पर चार-पांच साल लेट है, फिर भी सरकारें कुछ नहीं कहतीं। इन सबके बावजूद रेलवे यहां ट्रेन क्यों नहीं चलाता, इस सवाल का रेल अफसरों के पास भयानक टेकनिकल जवाब हैं। एक अफसर के मुताबिक सीआरएस (कमिश्नर रेलवे सेफ्टी) जब तक जांच नहीं कर लेते, ट्रेन नहीं चलेगी। पिछले एक साल में सीआरएस के नया रायपुर के दो दौरे अपरिहार्य कारणों से कैंसिल हो चुके हैं। सीआरएस के बहुत सारे रेलवे जोन हैं। पिछले तीन-चार माह से वे उत्तरप्रदेश में व्यस्त हैं। फ्री होंगे, तभी यहां आ पाएंगे। जब तक सेफ्टी जांच नहीं होती, ट्रेन कैसे चल सकती है। इसके अलावा और भी कई कारण हैं, जिनमें कोरोनाकाल भी है। स्वाभाविक है कि कोरोना के दौर में काम नहीं हुआ होगा, लेकिन उसी दौर में रायपुर से भिलाई के बीच नेशनल हाईवे पर पांच पुलों के निर्माण पर आंशिक प्रभाव ही पड़ा था, काम कभी रुका नहीं।

ट्रेन तो कायदे से रमन सरकार में ही चल जानी थी

कुछ जानकार अफसरों का कहना है कि नया रायपुर में डा. रमन सरकार के समय ही ट्रेन चलाने की तैयारी थी। राज्य की ओर से रेलवे को सारी जरूरी मदद दी गई थीं। यह तब तकरीबन ढाई सौ करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट था, जिसके आधे हिस्से के तौर पर राज्य सरकार ने पटरी और स्टेशनों के लिए रेलवे को जमीन दे दी। रेलवे दो साल पहले ही पटरियां बिछा चुका है, मेन रोड के नीचे बेहतरीन सुरंग बनाई जा चुकी है, सीबीडी स्टेशन महीनों से तैयार है। आम लोगों की नजर में ट्रेन चलाने के लिए जितनी जरूरी चीजें हो सकती हैं, वह सारी नया रायपुर में दिख रही हैं। हो सकता है कि ट्रेन चलाने के लिए कई अंदरूनी और तकनीकी तैयारियां होती होंगी, जो आम लोगों को नहीं दिखतीं। तब भी, सवाल उठता है कि सतह के ऊपर इतना बड़ा फिजिकल वर्क दो-तीन साल पहले से पूरा हो चुका है, तो ऐसी कौन सी अंदरूनी तैयारी हैं, जिनमें पटरी बिछाने, सुरंग बनाने और स्टेशन बनाने से ज्यादा वक्त लगता है। खैर, जब तक ट्रेन नहीं चलेगी, यह सवाल पूछा जाता रहेगा। लेकिन अब एक और सवाल आ गया है कि जहां वर्षों से एक भी ट्रेन नहीं चला सके, वहां आखिर कौन से इंजन-डिब्बे धोने के लिए अभी से डेढ़ हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रहे हैं।

केंद्री में वाशिंग स्टेशन का प्रोजेक्ट… इसे भी पढ़ लीजिए

रेलवे नया रायपुर में केंद्री स्टेशन के पास वॉशिंग स्टेशन बनाने जा रहा है। इसके लिए 60 एकड़ जमीन चुन ली गई है। वाशिंग स्टेशन में बोगियों और इंजन की मरम्मत तथा रखरखाव (वही धोना-पोछना) होगा। प्रोजेक्ट की लागत 1500 करोड़ रुपए है। रेलवे अफसरों के मुताबिक वाशिंग स्टेशन बनने के साथ-साथ खरसिया से रेल लाइन नया रायपुर तक आ जाएगी। यहां से पटरियों को परमलकसा तक जोड़ देंगे। ़उसके बाद नया रायपुर से कोलकाता, मुंबई और विशाखापट्टनम तक डायरेक्ट ट्रेनें चलने लगेंगी। तकरीबन एक दर्जन से अधिक ट्रेनें शुरू करेंगे, जिसमें पहले चरण में रायपुर-विशाखापट्टनम वंदे भारत एक्सप्रेस, दुर्ग-जम्मूतवी, दुर्ग निजामुद्दीन, दुर्ग गोरखपुर, दुर्ग-कानपुर, दुर्ग-भोपाल, दुर्ग-जयपुर, दुर्ग-अजमेर, दुर्ग-दल्ली राजहरा एक्सप्रेस शामिल हैं। यह सब नया रायपुर से शुरू हो जाने से रायपुर के लोगों के लिए हर ट्रेन में कोटा भी बढ़ जाएगा।

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