राजधानी में घमासान… कांग्रेस ने संदीप साहू को नेता प्रतिपक्ष बनाया था… एक माह में बदलकर आकाश तिवारी को जिम्मा… जयश्री, रेणु और मुशीर का दायित्व बरकरार

(फोटो: निगम में पिछले माह सौंपा गया था पुराना आदेश)
रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस में भारी घमासान छिड़ गया है। एक दिन पहले जारी सूची में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने रायपुर में दूसरे बार के पार्षद आकाश तिवारी को नेता प्रतिपक्ष घोषित किया है। बवाल इसलिए मचा है, क्योंकि एक माह पहले कांग्रेस की ओर से ही जारी आदेश में पार्षद संदीप साहू को नेता प्रतिपक्ष, जयश्री नायक को उपनेता प्रतिपक्ष, रेणु जयंत साहू को सचेतक और शेख मुशीर को प्रवक्ता घोषित किया था और नगर निगम को सूची सौंप दी थी। निगम की बजट सामान्य सभा में संदीप साहू ने बतौर नेता प्रतिपक्ष भाषण भी दिया था। लेकिन पार्टी ने चुपचाप संदीप को हटाकर आकाश को नेता प्रतिपक्ष बना दिया। बताते हैं कि प्रदेश के एक कद्दावर नेता तथा एक पूर्व मंत्री से मिलकर प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट को इसके लिए राजी किया। इसके बाद संदीप साहू को बदल दिया गया। इससे पार्षदों में नाराजगी तो है ही, यह मामला सोशल इंजीनियरिंग के असंतुलन की ओर भी बढ़ गया है। बता दें कि नेता प्रतिपक्ष बनाए गए आकाश कांग्रेस के पार्षद थे। पहले तो पार्टी ने यह गलती की कि श्योर जीतने वाले आकाश का टिकट काट दिया। इससे नाराज आकाश ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और अच्छे वोटों से जीते। तब पार्टी ने उन्हें वापस ले लिया। यहां तक तो किसी को दिक्कत नहीं थी, लेकिन अब संदीप साहू को एक माह के भीतर हटाकर आकाश को नेता प्रतिपक्ष बनाया, तब विवाद की स्थिति बनी है। इस मामले में फिलहाल कांग्रेस के बड़े नेता खामोश हैं, लेकिन संकेत दिए गए हैं कि बदलाव ऊपर से हुआ है इसलिए नया आदेश ही फाइनल है। हालांकि नए आदेश में जयश्री नायक का उपनेता प्रतिपक्ष पद बरकरार है। पुराने आदेश में सचेतक बनाई गईं रेणु जयंत साहू और प्रवक्ता बनाए गए शेख मुशीर भी अपने पदों पर बने रहेंगे
पुराना आदेश जिसे कांग्रेस ने सौंपा था निगम को
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राष्ट्रीय महासचिव तथा छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिन पायलट के अनुमोदन से बुधवार को रात 9 बजे उन सभी 10 नगर निगमों में नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष अपाइंट कर दिए हैं, जिनमें हाल में चुनाव हुआ था। इन सभी निगमों में भाजपा के मेयर जीतकर आए हैं। रायपुर नगर निगम में कांग्रेस पार्षदों की संख्या बहुत कम है, यानी यहां विपक्ष खासा कमजोर है। कुछ नगर निगम में संख्याबल के हिसाब से विपक्ष मजबूत स्थिति में भी है।
प्रदेश के नेता-उपनेता प्रतिपक्ष का कल जारी आदेश