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अप्रैल में ही बेतहाशा गर्मी, बिजली खपत पिछले साल से 10% बढ़ी… कंपनी महंगी बिजली खरीदकर पूरी कर रही कमी… सीएम साय के निर्देश- हर हाल में सप्लाई हो लगातार

छत्तीसगढ़ में इस साल अप्रैल में ही पड़ने लगी बेतहाशा गर्मी का असर नजर आने लगा है। रायपुर समेत प्रदेशभर में पिछले साल बिजली की सबसे ज्यादा डिमांड मई में 6368 मेगावट तक पहुंची थी। इस साल 22 अप्रैल को ही जरूरत 7006 मेगावाट से पार हो गई थी।  बिजली का शार्टेज है, लेकिन सीएम विष्णुदेव साय ने बिजली कंपनी के चेयरमैन सुबोध कुमार सिंह को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में बिजली सप्लाई जिस तरह चल रही है, वैसी ही रहना चाहिए यानी पावर कट की कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए प्रदेश में पीक आवर यानी रोज शाम से रात तक बिजली खरीदकर सप्लाई की जा रही है। प्रदेश के लोगों को जिस दर से बिजली दी जा रही है, खरीदी गई बिजली का रेट उससे कहीं अधिक है।

इस साल अप्रैल पिछले कुछ वर्षों की तुलना में तेज गर्मी पड़ी है। इसलिए हर श्रेणी में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है। पिछले साल मई में  6,368 मेगावॉट की तुलना में इस वर्ष 22 अप्रैल में ही मांग 7,006 मेगावॉट हो गई थी। अर्थात पिछले साल की तुलना में अभी प्रदेश की बिजली जरूरत 10 प्रतिशत बढ़ गई है। सीएम साय के निर्देश के अनुसार इसे बैलेंस करने के लिए पॉवर कंपनी ने खास योजना के साथ काम शुरू किया है। छत्तीसगढ़ में बिजली की औसत मांग दिन में 5,120 मेगावॉट रहती है। परन्तु पीक ऑवर (शाम 6 बजे से रात तक) में यह मांग 6,500 से 7,000 मेगावॉट से अधिक पहुंच रही है। इसे पूरा करने लगभग 800 मेगावॉट बिजली एचडीपीएम के जरिए ली जा रही है। इसमें अधिकतम 14.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जा रही है। कई बार इतनी अधिक दर पर भी बिजली नहीं मिलती। 24 अप्रैल को पॉवर कंपनी ने 6,800 मेगावॉट बिजली की मांग का आकलन करते हुए अतिरिक्त बिजली मार्केट से क्रय करने की प्लानिंग की। इसी तरह रोजाना एक अलग टीम प्रदेश में संभावित मांग और आपूर्ति का तालमेल करते हुए पॉवर परचेज करती है। सामान्य तौर पर राज्य में उत्पादित बिजली की दर 4 से 8 रूपए प्रति यूनिट तक रहती है। उपभोक्ताओं के हित में खुले मार्केट से बिजली क्रय करने पर अधिक कीमत देनी पड़ती है।

छत्तीसगढ़ में बिजली उत्पादन काफी अधिक, फिर भी

छत्तीसगढ़ बिजली कंपनी की क्षमता 2978.7 मेगावॉट है। राज्य सरकार से अनुबंध के आधार पर सेंट्रल सेक्टर से 3,380 मेगावॉट बिजली मिलती है। सोलर संयंत्रों से लगभग 700 मेगावॉट बिजली मिल रही है, लेकिन यह दिन में ही सूरज रहने तक मिलती है। शाम को सोलर बिजली बंद हो जाती है, जबकि शाम को ही घरों में एसी, पंखे, कूलर के साथ ही दूसरी जरूरतें से लोड बढ़ता है। प्रदेश में दिन के समय मांग की तुलना में अधिक बिजली रहने पर छत्तीसगढ़ दूसरे राज्यों को बिजली देता है। दिन के समय बिजली की अधिकता रहने पर अभी हिमाचल प्रदेश को 250 मेगावॉट बैंकिंग के जरिये बिजली आपूर्ति की जा रही है। यह बिजली हिमाचल प्रदेश जुलाई, अगस्त, सितंबर में लौटाएगा। इसी तरह पंजाब और दिल्ली को पहले 50-50 मेगावॉट बिजली दी गई थी, जिसे अभी रात के समय दोनों राज्य लौटा रहे हैं।

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