साय केबिनेट का अहम फैसला… नगर निगम-पालिकाओं में मेयर का डायरेक्ट चुनाव… भूपेश सरकार की पार्षदों में से चुनने की नीति बदली

सीएम विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल ने सोमवार को नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों यानी नगरीय निकायों में महापौर का चुनाव भी सीधे आम लोगों की वोटिंग से करवाने का अहम फैसला लिया है। इस तरह, साय सरकार ने पांच साल पहले भूपेश सरकार की उस नीति को बदल दिया है, जिसमें महापौर का चुनाव पार्षदों के बीच किया गया था। सीएम साय की अध्यक्षता में मंत्रालय में करीब दो घंटे चली केबिनेट की बैठक में ओबीसी को मिलाकर आरक्षण की अपर लिमिट भी 50 प्रतिशत तय कर दी गई है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के गठन के बाद से ही चर्चा थी कि महापौर चुनाव पार्षदों के बीच न करवाकर सीधे जनता के बीच होगा। पूर्ववर्ती रमन सरकार के समय में सभी नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों में महापौर के लिए चुनाव डायरेक्ट ही होता था। इसे इस तरह समझिए कि जब आप पार्षद चुनने के लिए वोट डालने जाएंगे तो एक वोट महापौर के लिए भी देना होगा। एक ही मतदान केंद्र में महापौर और पार्षद, दोनों के लिए अलग-अलग ईवीएम रहेंगी। इस नियम को लागू करने के लिए शासन ने नगरपालिका अधिनियम 2024 के संशोधित अध्यादेश का अनुमोदन कर दिया है, यानी अब डायरेक्ट महापौर चुनाव की सारी अड़चनें खत्म हो गईं।
साय केबिनेट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण पर भी अहम फैसला लिया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा के आधार पर ओबीसी के लिए 25 प्रतिशत की एकमुश्त सीमा को शिथिल कर दिया गया है। आयोग ने अनुशंसा की है कि ओबीसी को मिलाकर अधिकतम आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। साय केबिनेट ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा और प्रतिवेदन के आधार पर इस फैसले का अनुमोदन कर दिया है। अर्थात और नगरीय और पंचायत, दोनों ही चुनावों का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।