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शहरों और पंचायतों में चुनाव अलग-अलग होंगे… सरकार की ओर से आया इशारा… पहले नगरीय चुनाव होना करीब तय

अब यह स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय यानी शहर-कस्बे तथा त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव अलग-अलग ही होंगे। डिप्टी सीएम तथा नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने मीडिया से बातचीत करते हुए इस बात का साफ इशारा कर दिया है। अब तक यह बात हो रही थी कि चूंकि नगरीय प्रशासन विभाग तथा पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की चुनावी तैयारी लगभग समानांतर चल रही हैं, इसलिए दोनों चुनाव एक साथ करवाए जा सकते हैं। ताजा संकेतों के जरिए इस संभावना पर पूरी तरह विराम लग गया है। इसी क्रम में नगरीय प्रशासन मंत्री साव ने आज कहा कि नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों की आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, इसलिए अब नगरीय चुनाव करवाने की पूरी तैयारी है। उनके इस बयान से समझा जा रहा है कि नगरीय निकाय के चुनाव पहले करवाए जा सकते हैं और ऐसा मार्च से पहले हो सकता है। परीक्षाओं वगैरह के बाद पंचायत चुनाव करवाए जा सकते हैं। छत्तीसगढ़ के लिए यह नया नहीं है, नगरीय और पंचायत चुनाव हमेशा ही अलग-अलग होते रहे हैं।

दरअसल सरकार ने तय कर लिया है कि नगरीय चुनाव बैलेट पेपर पर होंगे। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी मतपत्रों से ही होते हैं। मतपत्रों से चुनाव करवाना एक विशाल प्रक्रिया है। मतपत्रों की छपाई, मतपेटियों का इंतजाम, उन्हें लाने-ले जाने और एक जगह स्टोर करने में ईवीएम की तुलना में काफी बड़ा सिस्टम लगता है। नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव जिला प्रशासन की निगरानी में ही होते हैं और उनमें जिले का ही पूरा अमला लगता है। जानकारों के मुताबिक शहर-कस्बे और ठीक उसी समय पंचायत चुनाव होते हैं तो इसके लिए गांवों से जिला मुख्यालय तक प्रशासन की पूरी ताकत लग जाएगी। चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह असंभव नहीं है, लेकिन दोनों चुनाव बैलेट पेपर से किए जाएंगे तो यह मुश्किल जरूर हैं। संभवतः इसीलिए सिद्धांत तौर पर सभी इस निर्णय पर पहुंच चुके हैं कि दोनों चुनाव अलग-अलग होना ही बेहतर होगा।

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