बड़ी पहल : 5 लाख ईनाम वाले सरेंडर नक्सली या परिजन को सरकारी नौकरी… अगर नौकरी नहीं तो 10 लाख रुपए की एफडी

छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय की सरकार ने बस्तर में नक्सल विरोधी आपरेशन तो तेज किए ही हैं, सरेंडर करनेवाले नक्सलियों के राहत और पुनर्वास के लिए ऐसी पालिसी लाई है, जो बेहद आकर्षक है। इस पालिसी का प्रमुख बिंदु खूंखार ईनामी नक्सलियों को मुख्यधारा में लाना है, ताकि बस्तर में शांति स्थापित की जा सके। इसी पालिसी में एक आफर यह भी है कि अगर 5 लाख रुपए या उससे अधिक का ईनामी नक्सली सरेंडर करता है और अगर वह सरकारी नौकरी के लायक पढ़ा लिखा है, तो उसे या फिर परिवार में किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। अगर ऐसा नक्सली या परिवार में कोई नौकरी के लिए पात्र नहीं है, तब उसे एकमुश्त 10 लाख की राशि एफडीआर के रूप में दी जाएगी। यह एफडी तीन साल तक तोड़ी नहीं जा सकेगी, फिर व्यवहार के आधार पर संबंधित नक्सली के नाम से ट्रांसफर कर दी जाएगी।
इसी तरह, नक्सलियों के साथ कम उम्र में सक्रिय होने वाले युवकों को सरेंडर के बाद शिक्षा देने का इंतजाम भी किया गया है। अगर ज्यादा उम्र हो तो बच्चों की शिक्षा की बात पालिसी में है। जैसे सरेंडर नक्सली पढ़ना चाहे तो उसे संबंधित विभागों की योजनाओं के अंतर्गत सहायता दी जाएगी। वह नहीं तो उसके बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क सरकारी आवासीय स्कूलों में शिक्षा दी जाएगी। छात्रावास की सुविधा आदिम जाति विभाग करेगा। सरेंडर नक्सली के बच्चे अगर प्राइवेट स्कूल में पढ़ना चाहें, तों उन्हें शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत प्राइवेट स्कूल में सीट दी जाएगी और स्कूलों को अनुदान भी प्रदान कर दिया जाएगा।
… तो पुलिस या समकक्ष विभाग में नौकरी भी
यही नहीं, अगर किसी सरेंडर नक्सली ने एंटी नक्सल आपरेशंस में पुलिस की मदद की और इसके कारण उसकी जान व संपत्ति को खतरा उत्पन्न हुआ है, तो ऐसे प्रकरणों में उसे पुलिस विभाग के आरक्षक या समकक्ष पद पर नियुक्त कर दिया जाएगा। अन्य विभागों में नियुक्ति हेतु जिला समिति की अनुशंसा आवश्यक होगी।