नैनो डीएपी से एक एकड़ में ठोस डीएपी का खर्च आधा… सरकार ने स्टोर करवा दीं 3 लाख बोतलें… विशेषज्ञ खेतों में सिखा रहे उपयोग का तरीका

देशभर में डीएपी खाद का संकट है, लेकिन नैनो डीएपी के रूप में छत्तीसगढ़ ने बड़ा विकल्प तैयार कर लिया है। साय सरकार ने पूरे प्रदेश में 3 लाख नैनो डीएपी बोतलें स्टोर करवाई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एक एकड़ खेत में 50 किलो ठोस डीएपी लगती है, लेकिन अगर आधा लीटर नैनो डीएपी मिला दी जाए तो 25 किलो डीएपी ही पर्याप्त है। इस तरह, नैनो डीएपी ने एक एकड़ पर डीएपी खाद का खर्चा आधा कर दिया है। इधर, सरकार ने नैनो डीएपी की आधा लीटर की बोतलें भी बड़े पैमाने पर उपलब्ध करवा दी हैं। ठोस डीएपी में नैनो डीएपी किस तरह मिलाकर इस्तेमाल है, यह बताने के लिए सरकार की ओर से कृषि विशेषज्ञों को गांवों में भेजा जा रहा है और वे किसानों का ग्रुप बनाकर खेत में ही सिखा रहे हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार प्रदेश में इफको कंपनी अब तक 3 लाख 5 हजार से अधिक नैनो डीएपी बोतलों को स्टोर कर चुकी है। इनमें से 82 हजार 470 बोतलें डबल लॉक केंद्रों में, 1 लाख 41 हजार 389 बोतलें सहकारी साख समितियों तथा 48 हजार बोतलें निजी क्षेत्र में स्टोर हैं। अभी इफको के पास 33 हजार से अधिक नैनो डीएपी की बोतलें बची हैं। आधा लीटर की एक नैनो डीएपी बोतल की सोसायटी में कीमत 600 रुपए है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, धान की एक एकड़ फसल के लिए आवश्यक 50 किलोग्राम ठोस डीएपी खाद के स्थान पर केवल 25 किलोग्राम ठोस डीएपी तथा एक आधा लीटर नैनो डीएपी की बोतल पर्याप्त होती है। एक बोरी (50 किलो) ठोस डीएपी की कीमत 1,350 रुपए है, जिसकी तुलना में नैनो डीएपी के प्रयोग से प्रति एकड़ 75 रुपए की बचत होती है। यह संयोजन पोषण की दृष्टि से एक बोरी ठोस डीएपी के समतुल्य होता है।
नैनो डीएपी के उपयोग हेतु किसानों को जागरूक किया गया है। उन्हें डेमो देकर इसकी विधि भी सिखाई गई है। राज्य सरकार ने समय रहते ठोस डीएपी की कमी की आशंका को भांपते हुए नैनो डीएपी के उपयोग को लेकर किसानों के बीच एक सघन जागरूकता अभियान चलाया। कृषि विभाग के मैदानी अमले, कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों की सहायता से खेतों में ठोस डीएपी के साथ नैनो डीएपी के संयुक्त प्रयोग की विधियाँ किसानों को समझाई जा रही हैं।