Controversy… पत्नी ने युवक का शव दफ्नाया, पैरेंट्स-बहनों ने शव घर वापसी के लिए मांगा… उलझा प्रशासन, भाजपा ने बनाई जांच समिति
जशपुर पुलिस और प्रशासन मनोरा तहसील के एक अजीबोगरीब मामले में खासे उलझ गए हैं। आस्ता थाने के अंतर्गत आने वाले मनोरा तहसील के एक गांव में 13 अगस्त को बिजली गिरने से भुइयां आदिवासी युवक राजेंद्र चौराट की मृत्यु हो गई थी। पत्नी ने उसका अंतिम संस्कार किया और दफ्ना दिया। अंतिम संस्कार के बाद मृतक के माता-पिता और बहनों ने उसे दफ्नाने पर आपत्ति की, तो पत्नी ने पक्ष रखा कि राजेंद्र ने धर्मांतरण किया था, इसलिए उसने उसी रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया। इससे असहमत होकर राजेंद्र के परिजन ने कब्र से शव निकालकर उन्हें सौंपने की मांग कर दी, ताकि जीते जी न सही, शव की घरवापसी करें और उसका दाह संस्कार करें। पत्नी तथा उसका समाज शव को कब्र से निकालने के विरोध में है। यह मामला प्रशासन के पास पहुंचा, लेकिन वहां भी इसका हल नहीं मिला। अब इस मुद्दे ने विवाद का रूप ले लिया है। मनोरा तहसील में राजनीतिक लोग भी दो पक्षों में बंट गए हैं। भुइंहर समाज ने भी शव के लिए आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दे दी है। मामले में राजनीति तेज हो रही है, इसलिए भाजपा ने इस पूरे मसले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बना दी है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण सिंह देव ने पार्टी के चार नेताओं की एक जांच समिति बना दी है। प्रदेश उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा समिति के संयोजक बनाए गए हैं, जबकि विधायक रेणुका सिंह, सांसद राधेश्याम राठिया और विधायक गोमती साय को सदस्य बनाया गया है। समिति रविवार या सोमवार को मनोरा तहसील में प्रभावित गांव जाएगी और सभी पक्षों से चर्चा करके तथ्य जुटाएगी। पार्टी ने इस समिति से 7 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है।