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क्या लीक हुआ था समाधान शिविर के औचक निरीक्षण वाले लिमगांव का नाम… शायद इसीलिए सीएम साय ने अचानक जगह बदली और दूर वाले गांव में पहुंच गए

(सीएम अचानक सामने हों, तभी बनते हैं ऐसे फोटो)

सीएम विष्णुदेव साय लगातार कह रहे थे कि सुशासन तिहार के दौरान किसी भी गांव, कस्बे या शहर में अचानक उतरेंगे। ऐसा इसलिए ताकि वहां के लोगों से सीधी बात करने का मौका मिले। यह पता चल सके कि योजनाओं का कितना लाभ लोगों को मिल रहा है। पहले दिन सरकारी सूत्रों ने ही यह खबर दी कि सक्ती जिले के लिमगांव में सीएम साय के स्वागत और शिविर की तैयारी प्रशासन ने कर ली थी। सवाल यह उठ रहा है कि स्वागत की तैयारी थी, मतलब क्या यह बात लीक हो गई थी कि सीएम लिमगांव में उतरने वाले हैं। क्या ऐन वक्त पर सीएम को एहसास हो गया था कि लिमगांव में सक्ती प्रशासन मौजूद है, इसलिए उन्होंने जगह ही बदल दी और करिगांव में उतर गए। सीएम साय ने पहले ही दिन शासन तंत्र को औचक निरीक्षण का रीयल फील दे दिया और तैयारी वाली जगह पर नहीं उतरे।

सुशासन तिहार के पहले दिन लिमगांव की जगह करिगांव में उतरकर सीएम साय ने औचक निरीक्षण के कांसेप्ट को बड़ी मजबूती दी है। जानकारों के मुताबिक सीएम साय चाहते थे कि सभी को यह एहसास कराया जाना चाहिए कि औचक निरीक्षण का आशय क्या है। यह औचक ही हो सकता है, मैनेज्ड कार्यक्रम को औचक निरीक्षण नहीं कहा जा सकता। निरीक्षणों के औचक होने पर पहले भी कई बार बहस होती रही है। जहां हेलिकाप्टर लैंड होते हैं, वहां चारों तरफ सुरक्षा लगी होती है, कलेक्टर-एसपी रहते हैं। अर्थात वे पहले ही पहुंच जाते होंगे। ऐसे में निरीक्षण औचक नहीं रह जाता। ऐसा काफी अरसे बाद हुआ कि सीएम के तौर पर विष्णुदेव साय ऐसी जगह पर उतरे, जहां कोई तैयारी नहीं थी।

आम लोगों के बड़े मासूम से सवाल हैं कि सक्ती प्रशासन तक यह बात कैसे पहुंच गई कि सीएम साय औचक निरीक्षण लिमगांव में ही करनेवाले हैं। क्या औचक निरीक्षण की सूचनाएं दाएं-बाएं से प्रशासन को मिल जाती हैं, या फिर यह किसी तरह का लीक है। इस सवाल से ब्यूरोक्रेसी बचती है, लेकिन उनका यह तर्क भी सही है कि मुख्यमंत्री को जहां उतरना है, वहां सुरक्षा इंतजाम बेहद जरूरी है। ये इंतजाम गोपनीय तरीके से नहीं हो सकते, इसलिए औचक निरीक्षण की बातें कलेक्टर-एसपी के कानों में आ ही जाती हैं।

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