रेवेन्यू कोर्ट हफ्ते में दो दिन अनिवार्य रूप से लगेंगे… इसमें फैसला दो पेशी में, तुरंत चढ़ेगी फौती… ढीले राजस्व अफसर-कर्मियों पर कार्रवाई- सीएम

सरकार ने राजस्व संबंधी मामलों की सुनवाई करने वाले रेवेन्यू कोर्ट हफ्ते में दो दिन अनिवार्य रूप से लगाने की व्यवस्था कर दी है। यही नहीं, रेवेन्यू कोर्ट को अधिकांश मामलों का निराकरण दो पेशी में करना होगा। फौती नामांतरण यानी प्रापर्टी मालिक की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति वारिसान के नाम चढ़ाने की प्रक्रिया भी अब तुरंत होगी। यह निर्देश खुद सीएम विष्णुदेव साय ने राजस्व विभाग की समीक्षा करते हुए दिए हैं। उन्होंने कहा कि सुशासन तिहार में राजस्व संबंधी शिकायतें काफी हैं, जिनका निराकरण प्राथमिकता से किया जाए। ढीले-ढाले राजस्व अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राजस्व विभाग की समीक्षा के दौरान राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन, सीएम के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह तथा सचिव पी. दयानंद, राहुल भगत और बसवराजू एस भी मौजूद थे। निवास कार्यालय में हुई बैठक में सीएम साय ने कहा कि फौती–नामांतरण की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जाए। समय-सीमा में कानूनी वारिसों के पक्ष में फौती नामांतरण किया जाए। ऐसा नहीं हुआ तो कलेक्टरों को संबंधित पटवारियों की जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई करनी होगी। इसी तरह, आरबीसी 6-4 के अंतर्गत पीड़ित परिवारों को तात्कालिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। राजस्व न्यायालय (रेवेन्यू कोर्ट) संचालन सप्ताह में न्यूनतम दो दिन अनिवार्य रूप से होगा और दो पेशी में ही मामलों का निराकरण किया जाएगा। सीएम साय ने ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल तकनीक का अधिकतम उपयोग कर डायवर्सन प्रक्रिया को सरल और सहज बनाने पर भी बल दिया। उन्होंने अविवादित नामांतरण और बंटवारे के मामलों में अनावश्यक विलंब करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए। सीएम साय ने कहा कि राजस्व विभाग का सीधा संबंध आम जनता से है। मैदानी अमले की लापरवाही शासन की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। उन्होंने सुशासन तिहार के दौरान प्राप्त आवेदनों के निराकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखने और सभी आवेदनों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। राजस्व मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने समीक्षा बैठक में कहा कि शासन द्वारा निर्धारित नियमों के अनुरूप ही जमीन की खरीदी-बिक्री सुनिश्चित की जाए। राजस्व न्यायालयों में लंबित प्रकरणों का समयबद्ध निराकरण कर भू-धारकों को शीघ्र राहत दी जाए।