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राजधानी में पहले दिन ही समस्याओं का अंबार… 1779 आवेदन मिले जिनमें 1373 मांगें, 406 शिकायतें… ठीकरा पिछले मेयर-पार्षदों पर फूटेगा, अफसर-कर्मियों की कोई जिम्मेदारी नहीं

छत्तीसगढ़ का सबसे बड़े और हर तरह के मैसेज गांव-गांव तक डाउनलोड करने वाले शहर रायपुर के लिए सुशासन तिहार का पहला दिन चौंकाने वाला रहा है। सुशासन तिहार के पहले ही दिन राजधानी के अलग-अलग जोन में जनसमस्याओं से जुड़े आवेदनों का अंबार लग गया है। सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक 1773 आवेदन मिले हैं। इनमें से 1373 मांगें और 406 शिकायतें हैं। ज्यादातर आवेदन जनसुविधा से जुड़े हैं। इन आवेदनों में सबसे ज्यादा शहर के घने हिस्से से हैं। सर्वाधिक 397 आवेदन जोन-2 और 319 आवेदन जोन-3 में आए हैं। ये दोनों जोन शहर के घने हिस्से में हैं। यह आंकड़ें नगर निगम के ही हैं। इनका ठीकरा फिलहाल तो पिछले मेयर-पार्षदों पर ही फूटने वाला है, क्योंकि नगर निगम के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को बमुश्किल एक माह भी बीता है। लेकिन चर्चाएं यह भी हैं कि जिम्मेदारी निगम के अफसर-कर्मचारियों की भी है। जो पिछले मेयर-पार्षदों के साथ काम कर रहे थे, अब भी वही हैं। राजनैतिक हल्के में भी सवाल है कि क्या जिम्मेदारी केवल चुने हुए जनप्रतिनिधियों की है, सरकारी अमले की बिलकुल नहीं है। आईएएस अफसरों को निगम में कमिश्नर की जिम्मेदारी मिली हुई है। राजधानी में समस्याओं के इतने आवेदन एक ही दिन में आ गए हैं, तो क्या उनकी जिम्मेदारी बिलकुल नहीं बनती है, यह सवाल भी सियासी हल्कों में तैरने लगा है।

मंगलवार को देर शाम नगर निगम की ओर से सुशासन तिहार के पहले दिन मिले आवेदनों के आंकड़े जारी किए गए हैं। इसके मुताबिक आम लोगों ने जोन-1 में 100, जोन-2 में 397, जोन-3 में 319, जोन-4 में 149, जोन-5 में 105, जोन-6 में 270, जोन-7 में 150, जोन-8 में 122,जोन-9 में 63 और जोन-10 में 104 आवेदन जमा किए गए हैं। ये आवेदन सभी 70 वार्डों से जुड़े हुए हैं और आप देख सकते हैं कि किन जोन में समस्याओं का अंबार लगने लगा है। जानकारों के मुताबिक पहले दिन जानकारी के अभाव में कम लोग ही अर्जियां लेकर जोन दफ्तरों में पहुंचे हैं। आवेदन लेने का सिलसिला अगले 4 दिन यानी 11 अप्रैल तक और जारी रहनेवाला है। पहले दिन के आंकड़ों को एक दिन का औसत माना जाए, तो अगले चार दिन को मिलाकर राजधानी में 10 हजार के आसपास अर्जियां आने का अनुमान लगा सकते हैं। बमुश्किल 20 लाख की आबादी में अगर समस्याओं से जुड़े 10 हजार आवेदन आ जाते हैं, तो कर्तव्यपरायणता पर यह सवाल केवल नगर निगम तक सिमटकर रहनेवाला नहीं है।

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